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नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) कर्मचारियों के नियमितीकरण और बकाया वेतन भुगतान को लेकर ऐतिहासिक निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर उपनल कर्मियों के विनियमितीकरण पर निर्णय लेने को कहा है। इसके साथ ही सुशीला तिवारी अस्पताल में कार्यरत कर्मियों को 15 दिन में तीन माह का वेतन भुगतान करने का आदेश भी दिया गया है।
क्या है मामला?
उपनल संविदा कर्मचारी संघ द्वारा दायर अवमानना याचिका (वाद संख्या: क्लोन 402/2024) की सुनवाई आज मुख्य न्यायाधीश की एकलपीठ में हुई। यह याचिका उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव आनंद वर्धन के विरुद्ध दाखिल की गई थी। मामले में उपनल कर्मचारियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एस.आर. सिंह, एम.सी. पंत, और अंकुर यादव ने जोरदार पैरवी की।
सरकार ने मांगा समय, कोर्ट ने दिया 4 हफ्ते का अल्टीमेटम
सरकार की ओर से महाधिवक्ता एस.एन. बाबूलकर ने कोर्ट को बताया कि उपनल कर्मियों के विनियमितीकरण की सिफारिश पहले ही की जा चुकी है और अब यह मामला कैबिनेट के समक्ष लंबित है। साथ ही, उन्होंने पंचायत चुनावों की आचार संहिता का हवाला देते हुए छह सप्ताह का समय मांगा।
हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए केवल चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के आदेश दिए और स्पष्ट किया कि आचार संहिता निर्णय में देरी का बहाना नहीं बन सकती।
एरियर भुगतान पर भी कोर्ट सख्त
वरिष्ठ अधिवक्ता यादव ने “कुंदन सिंह” प्रकरण का हवाला देते हुए कहा कि उपनल कर्मियों को न्यूनतम वेतन और बकाया एरियर दिए जाएं। इस पर कोर्ट ने सहमति जताते हुए राज्य सरकार को सुशीला तिवारी अस्पताल में कार्यरत कर्मियों का तीन माह का बकाया वेतन 15 दिन में चुकता करने का आदेश पारित किया।
अगली सुनवाई की तारीख
मामले की अगली सुनवाई 07 अगस्त 2025 को निर्धारित की गई है, तब तक राज्य सरकार को कोर्ट के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा।
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