- एसजीआरआर विश्वविद्यालय में विकसित भारत @2047 पर कार्यशाला का आयोजन
- ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने पर कृषि वैज्ञानिकों ने रखे विचार
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने और विकसित भारत में युवाओं की भागीदारी को समझते हुए विकसित भारत @2047 की थीम पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अजय कुमार खंडूड़ी , कार्यक्रम की नोडल ऑफिसर प्रोफेसर मालविका कांडपाल, मुख्य वक्ता आईसीएआर पूसा नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉक्टर ओम प्रकाश, ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी देहरादून के स्कूल ऑफ़ एग्रीकल्चर के प्रोफेसर डॉ दीपक खोलिया और श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय की स्कूल आफ एग्रीकल्चर की संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर प्रियंका बनकोटी ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज और कुलपति प्रोफेसर यशबीर दीवान ने आयोजकों को शुभकामनाएं प्रेषित की।
छात्र -छात्राओं को संबोधित करते हुए कुलसचिव डॉ अजय कुमार खंडूड़ी ने कहा कि आज भारत विश्व का प्रतिनिधित्व कर रहा है। हमें अगले 25 वर्षों में विकसित भारत बनाने के लिए युवाओं की ऊर्जा को रचनात्मक दिशा में लगाना होगा। उन्होंने कहा कि विकसित राष्ट्र में हमारे योगदान की आवश्यकता है। उत्तराखंड में संसाधनों की कमी नहीं है लेकिन उन संसाधनों का संपूर्ण उपयोग युवा नहीं कर पा रहे हैं । उन्होंने भारत को विश्व गुरु बनाने में युवाओं के योगदान की बात कही। साथ ही श्रीअन्न के उत्पादन को प्रोत्साहन देकर युवाओं को रोजगार से जोड़ने को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि युवाओं को इसके लिए मार्केटिंग के गुण सीखने पड़ेंगे तभी वह आत्मनिर्भर बन सकेंगे और भारत को भी आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह कर सकेंगे।
इस अवसर पर कार्यशाला के प्रथम वक्ता और कार्यशाला के मुख्य अतिथि आईसीएआर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के कृषि विस्तार शिक्षा विभाग के प्रसिद्ध प्रधान वैज्ञानिक डॉ ओमप्रकाश ने ‘सतत कृषि और जलवायु’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने
देश के विकास के लिए सभी क्षेत्रों पर युवाओं का ध्यान आकर्षित करते हुए कृषि के प्रसार की संभावनाओं पर बात की। वही बंजर भूमि की उत्पादकता को बढ़ाने और तकनीकी के द्वारा कृषिगत उपज बढ़ाने की बात कही। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों एवं वर्तमान कृषि सेक्टर की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसके लिए एक ही समाधान है और वह है जलवायु स्मार्ट समन्वित कृषि प्रणाली।
कार्यशाला के दूसरे वक्ता डॉक्टर दीपक खोलिया ने मोरिकल्चर, रेशम उद्योग और मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देकर ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने पर अपने विचार व्यक्त किए ।
उन्होंने छात्रों को जागरुक करते हुए इन क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं बताई। कार्यशाला में तकनीकी सत्र में छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और विशेषज्ञों के साथ बातचीत की।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए कार्यक्रम की नोडल ऑफिसर प्रोफेसर मालविका कांडपाल ने कहा कि श्री गुरु राम विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ ही आउटरीच प्रोग्राम्स के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में नित्य नए प्रयोग कर रहा है। इसी कारण विश्वविद्यालय आज कृषि के क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम है।
स्कूल ऑफ़ एग्रीकल्चर की संकायाध्यक्ष प्रोफेसर प्रियंका बनकोटी ने कहा कि श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय उत्तराखंड का एकमात्र निजी विश्वविद्यालय है जिसे आईसीएआर की मान्यता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि हमारे छात्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कृषिगत कार्यों में संलग्न हैं और देश के विकास में सहभागी बन रहे हैं, जो विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ हिमांकी डबराल और डॉक्टर मोइनुद्दीन रहे।
इस अवसर पर आईक्यूएसी डायरेक्टर प्रोफेसर सुमन बिज, मुख्य परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर संजय शर्मा, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर कंचन जोशी, संकायाध्यक्ष स्कूल आफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज प्रोफ़ेसर गीता रावत, डॉ
मोईनूदद्दीन चिश्ती, डॉ हिमांकी सहित विश्वविद्यालय के सभी स्कूलों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण एवं सैंकड़ों छात्र मौजूद रहे।