ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
वैसे तो उत्तराखंड में ना ही नदियों की कमी है ना ही पानी की,लेकिन आज अलग राज्य उत्तराखंड पहचान में आने के 23 वर्षों बाद भी यहां के नागरिक पानी के लिए प्यासे हैं।
जी हां आप सोच रहे होंगे जिस राज्य में स्वयं मां गंगा अवतरित होती है उस राज्य के नागरिकों की ऐसी दुर्दशा आखिर क्यों है?
उसका कारण है राज्य में अब तक की सरकारों की अपने ही राज्य के नागरिकों के प्रति असंवेदनशीलता।
इस राज्य के विधायक जिस जिस विधानसभा से जीते उन्होंने सीधे देहरादून का रास्ता पकड़ लिया और पीछे छोड़ दिए वह मतदाता जिनकी वजह से वह विधायक बनकर विधानसभा पहुंचने लायक बने,जबकि वह ग्राम प्रधान बनने लायक भी नहीं थे।
खबर उत्तरकाशी के बड़कोट से है जहां के लोग लगातार पानी के लिए प्यासे हैं,ऐसे में उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करना शुरू किया कि शायद जिनको उन्होंने वोट दिया है वह नेता और अधिकारी उनकी पानी की समस्या का हल करें,लेकिन उनका दुर्भाग्य देखिए अब तक 28 दिन की हड़ताल के बाद भी कोई अधिकारी कोई नेता नहीं जग सका हैं।
उत्तरकाशी बड़कोट नगर पालिका में
पानी की भीषण किल्लत हो रही है,नगर में 28 दिन से हड़ताल चल रही है परन्तु सरकार के द्वारा कोई सुध नहीं ली गई है,भविष्य में नगर वासियों को निजात मिले तो पेयजल पम्पिंग योजना की वित्तीय स्वीकृति नितांत आवश्यक है।
इसी को लेकर आज सनातन जागृति संगठन के अध्यक्ष महंत केशव गिरी महाराज जी ने 6 जुलाई से भूख हड़ताल पर बैठने का एलान किया है,जनभावनाओं की समस्या को देखते हुआ महाराज जी के द्वारा यह निर्णय लिया गया है ।।
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