देहरादूनः जनता सुई से लेकर सब्बल तक की खरीद पर कर अदा कर रही है और टैक्स चोर हैं कि उस टैक्स को सरकार को देने की जगह दोनों हाथों से लूट रहे हैं। हालांकि, बीते कुछ समय से राज्य कर (स्टेट जीएसटी) विभाग उत्तराखंड ने ऐसे प्रतिष्ठानों के विरुद्ध अभियान छेड़ रखा है। अबकी बार विभाग के निशाने पर बिजली उपकरण बनाने वाली फर्में आई हैं। राज्य कर विभाग ने फर्जी फर्मों की चेन बनाकर कर चोरी करने वाली बिजली उपकरणों की 22 फर्मों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। इस दौरान 8.5 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का मामला सामने आया। फर्मों ने 1.65 करोड़ रुपये मौके पर ही जमा करा दिए हैं।
राज्य कर मुख्यालय, उत्तराखंड।
आयुक्त राज्य कर डा अहमद इकबाल के निर्देश पर सेंट्रल इंटेलिजेंस यूनिट (मुख्यालय) की टीम ने दून, हरिद्वार व रुड़की की 22 फर्मों पर एक साथ छापा मारा। दरअसल, विभाग को सूचना मिल रही थी कि बिजली उपकरणों का निर्माण करने वाली फर्में अस्तित्वहीन फर्मों से कारोबार दिखाकर आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का अनुचित लाभ प्राप्त कर रही हैं। इसका समायोजन अपनी जीएसटी देयता से किया जा रहा है। इस तरह जो कर जमा किया जाना चाहिए था, उसका लाभ फर्म गलत ढंग से अपने पक्ष में प्राप्त कर रही थीं।
छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने फोरेंसिक एक्सपर्ट की मदद से तमाम डिजिटल साक्ष्य जुटाए और उन्हें कब्जे में लिया। फर्मों संचालकों की ओर से अर्जित की गई विभिन्न संपत्तियों का भी विवरण जुटाया गया। कर चोरी के पुख्ता प्रमाण हाथ लगने के बाद फर्म संचालकों ने अपनी त्रुटि मानते हुए मौके पर ही 1.65 लाख रुपये जमा करा दिए। विभाग के मुताबिक प्रकरण की विस्तृत जांच जारी है। जिसके मुताबिक आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी। कई अन्य फर्म भी विभाग के रडार पर आई हैं। छापा मारने वाली टीम में उपायुक्त विनय पांडे, निखिलेश श्रीवास्तव, अजय बिरथरे, सुरेश कुमार, शिवशंकर यादव, सहायक आयुक्त मनमोहन असवाल, टीका राम, रजनीकांत शाही, राज्य कर अधिकारी ईशा, असद अहमद, गजेंद्र भंडारी आदि शामिल रहे।
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