उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर विस्तृत प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। यह याचिका राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दायर की गई थी, जिसमें सरकारी अस्पतालों की जर्जर स्थिति और मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी का मुद्दा उठाया गया था।
सुनवाई के दौरान डायरेक्टर जनरल हेल्थ ने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि न्यायालय के पूर्व आदेशों के अनुपालन में सेनेटोरियम अस्पताल को मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल में विकसित करने की प्रक्रिया शासन स्तर पर तेजी से चल रही है।
उन्होंने बताया कि—
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अस्पताल का DPR (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कर ली गई है।
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फाइनेंशियल प्रपोजल भी शासन को भेज दिया गया है।
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निर्माण कार्य के लिए एक निजी संस्था की नियुक्ति कर दी गई है।
अदालत ने इन तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अस्पतालों में सुविधाओं के उन्नयन और चल रही प्रक्रियाओं की अपडेटेड प्रगति रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।
याचिका में उठाए गए मुख्य मुद्दे
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि—
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प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
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स्टाफ की भारी कमी, डॉक्टरों की अनुपस्थिति और तकनीकी मशीनों के खराब होने से मरीजों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है।
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अस्पतालों में इंडियन हेल्थ स्टैंडर्ड (IHS) के मानकों का पालन नहीं हो रहा है।
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दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित होना पड़ रहा है।
याचिका में हाईकोर्ट से मांग की गई कि सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं, ताकि आमजन को गुणवत्तापूर्ण उपचार मिल सके।













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