मामला क्या है?
2 सितंबर 2025 को चंपावत जिले के बनबसा थाना क्षेत्र में दर्ज एक मुकदमे में आनंद सिंह पर आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत कार्रवाई की गई थी। आरोप है कि बाढ़ की स्थिति के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर झूठी और भ्रामक जानकारी साझा की।
शिकायत में कहा गया कि आनंद सिंह मेहर ने फेसबुक और अन्य माध्यमों पर ऐसी वीडियो व पोस्ट प्रसारित कीं, जिनसे समाज में अशांति और भ्रम की स्थिति बनी। इतना ही नहीं, उन पर यह भी आरोप है कि वे बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर लोगों को भड़काने और सरकारी विभागों व सामाजिक कार्यकर्ताओं पर बिना साक्ष्य के निराधार आरोप लगाने का काम कर रहे थे।
शिकायत और एफआईआर
इस मामले में भाजपा युवा मोर्चा के एक स्थानीय पदाधिकारी ने थाने में तहरीर दी थी। इसके आधार पर पुलिस ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 353 (1)(बी) व 353(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया।
हाईकोर्ट का आदेश
गिरफ्तारी से बचने और एफआईआर रद्द कराने के लिए आनंद सिंह ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की पीठ ने सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश पारित करते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाई। कोर्ट ने शर्त रखी कि याचिकाकर्ता जांच में पूरा सहयोग करेंगे और जब भी बयान या दस्तावेजों के लिए बुलाया जाएगा, वे उपस्थित होंगे।
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 27 अक्टूबर 2025 तय की है और संबंधित पक्षों से तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
आनंद सिंह का पक्ष
जानकारी के अनुसार, कांग्रेस नेता आनंद सिंह ने अपने वीडियो में क्षेत्र की बाढ़ के लिए अवैध खनन माफिया और सरकारी तंत्र को जिम्मेदार बताया था। उन्होंने यहां तक कहा कि बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा खनन में संलिप्त लोगों से वसूलकर दिया जाना चाहिए।
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