नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर सख्त निर्देश दिए हैं। अदालत ने साफ किया कि सरकार को 6 माह के भीतर नियमितीकरण संबंधी नियम बनाने होंगे, ताकि लंबे समय से अस्थायी आधार पर काम कर रहे कार्मिकों को न्याय मिल सके।
याचिकाकर्ता को मिली राहत, सेवा रहेगी जारी
देहरादून स्थित स्टेट नर्सिंग कॉलेज में कार्यरत याचिकाकर्ता मयंक कुमार जामिनी पिछले 15 वर्षों से कॉन्ट्रैक्ट पर असिस्टेंट प्रोफेसर (पूर्व में लेक्चरर) के पद पर सेवा दे रहे हैं। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक सरकार नियम तैयार नहीं कर लेती, तब तक याचिकाकर्ता की सेवा यथावत जारी रहेगी। साथ ही, हाल ही में विज्ञापित पद को खाली रखने के निर्देश भी दिए गए।
सरकार ने माना, बनी है उच्चस्तरीय समिति
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा और कैबिनेट निर्णय के बाद सात सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्स कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया पर विचार करेगी।
याचिकाकर्ता की आपत्ति
याचिकाकर्ता का कहना था कि वह नियुक्ति की सभी योग्यताओं और अनुभव की शर्तों को पूरा करते हैं, फिर भी उन्हें नियमित नहीं किया गया। इसके अलावा, नए विज्ञापन में न तो आयु सीमा में छूट दी गई और न ही अनुभव का लाभ दिया गया, जो नियम विरुद्ध है।
कोर्ट का स्पष्ट आदेश
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता पिछले 15 वर्षों से लगातार सेवा दे रहे हैं और सरकार खुद नियमितीकरण नियम बनाने की प्रक्रिया में है, इसलिए फिलहाल उनका पद खाली नहीं किया जाएगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि 6 माह के भीतर नियम बनाए जाएं और उसके बाद ही नियमितीकरण पर निर्णय लिया जाए।
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