श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ समिति के विशेष कार्याधिकारी बी.डी. सिंह के ऊपर लगे वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुये उन्होनें बताया,कि वे खुद ही स्वास्थ्य ख़राब होने की वजह से अब अपने मूल विभाग में स्वास्थ्य के अनुकूल या देहरादून में तैनाती चाहते हैं, जिस हेतु वे पूर्व में भी वन विभाग के उच्चाधिकारियों और विभागीय मंन्त्री को कई बार अनुरोध कर चुके हैं।
वित्तीय अनिमियमिता के आरोपों का जबाब देते हुये उन्होंने बताया कि मंदिर समिति द्वारा सभी प्रस्ताव पारित करने और तत्कालीन श्री बद्री-केदार मन्दिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल के अनुमोदन के उपरान्त ही उन्होंने सभी कार्य सम्पादित करवाये हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 की आपदा से पूर्व श्री बदरीनाथ -केदारनाथ मन्दिर समिति की बोर्ड बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति में यात्रा के प्रचार-प्रसार हेतु प्रचार सामग्री तैयार की जाय तथा इसका विभिन्न माध्यमों से प्रसारण किया जाय। इसके लिये Asend (एसेंड) कम्पनी को बोर्ड द्वारा चयनित किया गया।
उक्त कम्पनी द्वारा श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ मन्दिर के कपाटोद्घाटन की पूरी पौराणिक परम्पराओं की एक लघु फिल्म तैयार की गयी। बाद में इस लघु फिल्म की कैसेट तैयार कर मन्दिर समिति को सौंपी गयी। जिसके एवज में बोर्ड के पारित प्रस्ताव एवं तत्कालीन अध्यक्ष गणेश गोदियाल की स्वीकृति से कम्पनी को निर्मित कैंसेट का भुगतान किया गया तथा उक्त कैसेट को मन्दिर समिति के श्री बदरीनाथ धाम काउंटर में विक्रय हेतु रखा गया और लघु फिल्म को श्री बदरीश ध्यान केन्द्र में यात्रियों को दिखाने की योजना तैयार की गयी।
कैसेट प्राप्त होने पर कैसेट बिक्री की आय मन्दिर समिति के खाते में जमा की जाती रही और श्री बदरीश ध्यान केन्द्र में फिल्म प्रचारित किये जाने से प्राप्त होने वाली आय को भी मन्दिर समिति के खाते में जमा किया गया। इस पर मन्दिर समिति का यह उद्देश्य था,कि इन दोनों से समिति को सतत् रूप से आय प्राप्त होती रहे,जो कि बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुरूप था।
जनपद पौड़ी के बिन्सर महादेव मन्दिर पर समिति का पैसा खर्च होने के आरोप के सम्बन्ध में उन्होंने बताया कि बिन्सर मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए स्थानीय ग्रामवासियों से प्रस्ताव प्राप्त होने पर तत्कालीन मन्दिर समिति के सदस्यों को निरीक्षण हेतु बिन्सर भेजा गया। जहां पर समिति की संस्तुति पर बोर्ड द्वारा प्रस्ताव पारित कर उक्त मन्दिर को मन्दिर समिति के अधीन लाया गया और इस मन्दिर के जीर्णोद्धार हेतु प्रस्ताव पारित कर धनराशि स्वीकृत की गयी और पारित प्रस्ताव के अनुपालन में ही निर्माण कार्य आरम्भ किया गया ।
मन्दिर समिति के एई को ईई के रूप में नियमविरुद्ध पदोन्नत करने के आरोप पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुये उन्होंने बताया कि आपदा के बाद मन्दिर समिति के बहुत से भवन आदि क्षतिग्रस्त हो गये थे,जिनका पुनर्निर्माण कार्य किया जाना यात्रा संचालन के लिए अति आवश्यक था। इस हेतु तत्कालीन मन्दिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल द्वारा स्वयं प्रस्ताव बनाकर शासन को संदर्भित किया गया एवं शासन से अधिशासी अभियन्ता का पद स्वीकृत कराकर इस पद पर अनिल ध्यानी जो श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति में सहायक अभियन्ता के पद पर कार्यरत थे, इनको मात्र पदीय दायित्वों के निर्वहन हेतु नामित किया गया, इसके लिए इन्हें कोई अतिरिक्त वित्तीय लाभ देय नहीं किया गया।
समिति का लाखों रुपया नियमविरुद्ध बाँटने के आरोप पर उन्होंने बताया कि माह अक्टूबर, 2019 में मन्दिर समिति की बोर्ड बैठक जो कि श्री केदारनाथ धाम में आहूत की गयी थी,इस बोर्ड बैठक में समिति द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया कि सभी सदस्यगण स्थानीय महत्व के सभी मन्दिरों के जीर्णोद्धार हेतु अपनी अनुशंसा पर समिति से आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसकी समीक्षा पुनः माह जनवरी में भी की गयी। इस बैठक में भी सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि सभी सदस्यों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाय।
इस पर सदस्यों की अनुशंसा को पुनःतत्कालीन मंदिर समिति के अध्यक्ष स्व.मोहन प्रसाद थपलियाल को संदर्भित किया गया,जिस पर उनकी स्वीकृति के उपरान्त ही सदस्यों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी गयी,जो नियमतः थी और जिसका समिति के वार्षिक वित्तीय बजट में प्रावधान किया गया था।
बिना टेंडर फ़िल्म कैसेट और घड़ियों की खरीद के आरोप पर उन्होंने कहा कि समिति द्वारा यह भी निर्णय लिया गया कि श्री बदरीनाथ धाम एवं श्री केदारनाथ धाम में आने वाले दानी दाताओं को स्मृति चिन्ह के रूप में सोविनियर दिया जाय। जिसमें श्री बदरीनाथ मन्दिर एवं श्री केदारनाथ मन्दिर के चित्र अंकित कर घड़ियां क्रय करने हेतु तत्कालीन अध्यक्ष स्व.मोहन प्रसाद थपलियाल द्वारा निर्देशित किया गया। जिस पर समिति के अध्यक्ष के निर्देशानुसार क्रय समिति के माध्यम से घड़ियां सोविनियर के रूप में क्रय की गयी। जिसका समिति के वित्तीय बजट में प्रस्ताव था।
इसी क्रम में उन्होंने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा दिये गये निर्देश के अनुपालन में चौलाय की खेती को प्रोत्साहित करने एवं लोकल लोगों को रोज़गार देने के उद्देश्य से धाम में चौलाई के लड्डू के विक्रय का कार्यक्रम चलाया गया, जिस हेतु निविदा भी आमन्त्रित की गयी।
प्राप्त निविदा पर समिति के तत्कालीन अध्यक्ष गणेश गोदियाल की पहल एवं अनुमोदन पर ही सम्बंधित फ़र्म से एमओयू आधार कर विक्रय कार्य क़िया गया,जिसमें फ़र्म की ही सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी सुनिश्चित है और समिति मात्र विक्रय हेतु स्थान उपलब्ध कराती है,जिसके एवज़ में समिति को रॉयल्टी मिलती है।
दान की गयी एम्बुलेंस के ग़ायब होने के बारे में उन्होंने बताया कि दानी द्वारा दी गयी एम्बुलेंस 7 -8 माह कमिश्नर ऑफ़िस देहरादून में खड़ी थी,माह अप्रैल में कमिश्नर ऑफ़िस से पत्र प्राप्त हुआ कि एम्बुलेंस को मंदिर समिति को वापस किया जाता है समिति इसे हॉस्पिटल को दे दें,जिसके अनुपालन में मंदिर समिति ने एम्बुलेंस का रेजिस्ट्रेशन करा कर इसे मुख्य चिकित्सा अधिकारी रुद्रप्रयाग को हस्तगत कर दिया है।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार आरोपित सभी कार्य मन्दिर समिति के पारित प्रस्ताव एवं मंदिर समिति के तत्कालीन अध्यक्ष के अनुमोदन कर माध्यम से ही नियमतः किये गये। जिसमें किसी प्रकार की अनियमितता नहीं बरती गयी।