देहरादून— उत्तराखंड खनन विभाग ने पहली तिमाही में ऐसा धमाका किया है, जिसने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में विभाग ने ₹331.14 करोड़ की ऐतिहासिक राजस्व प्राप्ति दर्ज की है। यह आय पिछले वर्ष की तुलना में 22.47 प्रतिशत अधिक है।
🔹 पिछली तिमाहियों की तुलना में छलांग:
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2022-23: ₹146.18 करोड़
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2023-24: ₹177.27 करोड़
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2024-25: ₹270.37 करोड़
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2025-26 (Q1): ₹331.14 करोड़
खनन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल ₹1040.57 करोड़ की कमाई कर राज्य के इतिहास में सर्वाधिक राजस्व अर्जित किया था। इस बढ़ती ग्रोथ के पीछे कई ठोस और रणनीतिक फैसलों की भूमिका रही।
रिकॉर्ड आय के पीछे ये हैं 5 बड़े कारण:
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खनन नियमों का सरलीकरण: उपखनिज नियमावली व अवैध खनन रोकथाम नियमों में बदलाव कर उन्हें अधिक व्यवहारिक बनाया गया।
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ई-निविदा और ई-नीलामी: खनिज लॉट्स को पारदर्शी तरीके से ऑनलाइन आवंटित किया गया।
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अवैध खनन पर शिकंजा: प्रवर्तन टीमों ने निगरानी बढ़ाकर अवैध खनन, भंडारण और परिवहन पर कठोर कार्रवाई की।
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ई-रवन्ना पोर्टल का अपग्रेड: तकनीकी उन्नयन व नियमित मॉनिटरिंग से संचालन बेहतर हुआ।
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चार जिलों में खास फोकस: देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल में निविदा आधारित कंपनियों से मजबूत वसूली की गई।
तकनीक से पारदर्शिता की ओर बढ़ते कदम
खनन गतिविधियों को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने Mining Digital Transformation and Surveillance System (MDTSS) की शुरुआत की है। इसके तहत 45 माइन चेक गेट स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे अवैध खनन और ट्रांसपोर्ट पर निगरानी और सख्त हो सकेगी।
सीएम धामी की नीति और निदेशक राजपाल लेघा की टीम की मेहनत
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में अपनाई गई पारदर्शी, तकनीकी और सरलीकृत खनन नीति ने राज्य को राजस्व के मामले में नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। खनन निदेशक राजपाल लेघा की टीम ने सीएम के भरोसे को कायम रखते हुए न सिर्फ रिकॉर्ड कमाई की, बल्कि राज्य के आर्थिक विकास में भी उल्लेखनीय योगदान दिया।
सरकार की प्राथमिकता: राजस्व के साथ पर्यावरण संरक्षण
राजस्व बढ़ाने के साथ ही पर्यावरणीय नियमों का पालन, अवैध खनन पर रोक और सतत विकास की नीति सरकार की प्राथमिकता में है। उत्तराखंड अब पारदर्शी, तकनीकी और पर्यावरण-संवेदनशील खनन मॉडल की ओर बढ़ चला है।
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