रिपोर्ट : कार्तिक उपाध्याय
गैरसैंण ऐसा मुद्दा पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के लिए बन गया हैं,जिसमें सिर्फ राजनीति नजर आती हैं सत्र नहीं।
एक लंबे जन संघर्ष और बलिदान के बाद एक अलग राज्य,अलग पहचान यहां के वाशिंदों को उत्तराखंड के रूप में मिली,संघर्षों और बलिदानों से राज्य तो मिल गया पर राज्य की राजधानी आज 23 वर्षों बाद भी नहीं मिली।
गैरसैंण में जब भी सत्र की बात होती हैं तो राज्य की जनता द्वारा चुने विधायक तिलमिला उठते हैं।
इस संदर्भ में जब हाल ही में क्षेत्रीय दल के रूप में उभरी पार्टी *राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी (आरआरपी)* के राष्ट्रीय संयोजक शिव प्रसाद सेमवाल से बात करी तो उन्होंने कहा “गैरसैंण को राष्ट्रीय पार्टियों ने सिर्फ़ राजनीतिक मुद्दा और विधायक मंत्रियों के लिए पिकनिक मनाने की जगह बना डाला हैं,कभी वहां विधायकों को ठंड लगती हैं,कभी बरसात का डर तो कभी संसाधनों का अभाव,उन्होंने यहां तक कह डाला की राष्ट्रीय पार्टियां गैरसैंण बने विधानसभा भवन को *स्वीट होम स्टे* का नाम देकर पर्यटकों के लिए खोल दें ताकि राज्य को कुछ राजस्व तो मिलें क्योंकि सत्र वहां कराना इन राष्ट्रीय पार्टियों की राजनीति में नहीं हैं”।
बताते चलें उत्तराखंड के इस बजट सत्र को अस्थाई राजधानी देहरादून में कराया जा रहा हैं,जबकि इसे गैरसैंण होना था,इस बार रोचक यह रहा कि विधायकों द्वारा सत्र कहां होगा,यह निर्धारित होने से पूर्व ही लिखित में प्रार्थना पत्र स्पीकर को दिए गए कि बजट सत्र देहरादून कराया जाएं।
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