ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
उत्तराखंड में बीते दिनों पंचायती परिसीमन हुआ प्रशासन के पास नई ग्राम सभा और कई ग्रामसभाओं के पुनर्गठन के प्रस्ताव पहुंचे,और प्रशासन ने उन प्रस्तावों के आधार पर नई ग्रामसभाओं का गठन और पुनर्गठन कर दिया गया।
जनपद नैनीताल में हुए पंचायती परिसीमन के प्रस्ताव के बाद एक नई ग्रामसभा बजवालपुर अस्तित्व में आई लेकिन अब इस ग्रामसभा के ग्रामीणों की आपत्ति के बाद नई ग्रामसभा का गठन रोक दिया गया हैं,लेकिन अब इसपर गांव की राजनीति में हलचल शुरू हो गई हैं।
जो प्रस्ताव नई ग्रामसभा बजवालपुर के गठन के लिए प्रशासन के पास पहुंचा उसे पूर्व ग्राम प्रधान ललित मोहन नेगी ने फर्जी करार दिया हैं और इसे ग्रामसभा के साथ हो रहा राजनीतिक षड्यंत्र बताया हैं,उन्होंने कहा हैं ग्रामसभा का परिसीमन जरूरी हैं लेकिन यह परिसीमन राजस्व गांवों की संख्या,मतदाताओं को वर्तमान जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए विधिवत तरीके से होना चाहिए लेकिन यहां जो पंचायती परिसीमन कर नई ग्रामसभा बजवालपुर का गठन हुआ वह गांवों के हित में नही था,और नेगी ने कहा यहां गांव में राजनीति दूषित करने के लिए भाजपा के ही निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य द्वारा किया गया,लेकिन प्रशासन ने गांव वालो की आपत्ति को समझते हुए ग्राम सभा का गठन रोक दिया हैं इसके लिए वह प्रशासन का धन्यवाद करते हैं,नेगी ने कहा गांव की राजनीति को गंदी करने का जो प्रयास कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा था उन्हें झटका लगा हैं।
उन्होंने कहा वह भी लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी के लिए संघर्ष करते आ रहें हैं लगातार इस ग्राम सभा से चुनाव जीते हैं जनता का उन पर विश्वास हैं किसी भी तरीके से बाहर से गांव में आकर कोई राजनीति में हस्तक्षेप करें और उसे दूषित करें यह स्वीकार नहीं किया जाएगा,स्वयं ग्रामीण इसका विरोध कर रहें हैं,उन्होंने यह भी कहा की भाजपा के एक उच्च सदस्य द्वारा जिनकी जिम्मेदारी अच्छे से परिसीमन कर गांव को आगे बड़ाना था उन्होंने नई ग्रामसभा को ओछी राजनीति की भेंट चढ़ा दिया पार्टी को भी इसपर ध्यान देना चाहिए यदि पार्टी के उच्च नेता ऐसे गांव में राजनीतिक षड्यंत्र रचेंगे तो पार्टी को इसका भविष्य में कितना नुकसान होगा।
बड़ा सवाल यह हैं की पंचायती परिसीमन जब हुआ तो आखिर क्यों नई ग्रामसभा के गठन से पूर्व अधिकारियों ने स्थलीय निरीक्षण कर ग्रामसभा को क्यों नहीं समझा,यदि गांव में भी इस स्तर की राजनीति होने लगे तो गांवों का विकास कैसे संभव हैं?
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