रिपोर्ट : आयुष रावत कुमाऊं मंडल
उत्तराखंड में एक नई राजनीतिक बहस छिड़ गई है, जब बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने श्वेता मेहरा के साथ राजनीतिक मंच साझा किया,इस कदम का युवा आंदोलनकारी और किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने कड़ा विरोध किया है,कार्तिक का कहना है कि यह निर्णय उत्तराखंड के युवा आंदोलनकारियों की भावनाओं और उनके संघर्षों का अपमान है।
कार्तिक उपाध्याय ने अपनी बात रखते हुए कहा, “हमने उत्तराखंड के नव निर्माण के लिए अपने खून-पसीने से संघर्ष किया,हमारी लड़ाई केवल रोजगार के लिए नहीं,बल्कि युवाओं के आत्मसम्मान और उनके सपनों को साकार करने के लिए थी। लेकिन आज यह देखकर बेहद दुख होता है कि हमारे संघर्षों को मंच और राजनीति की चमक-दमक के लिए भुलाया जा रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि श्वेता मेहरा,जो पहले आंदोलनकारी युवाओं को ‘नल्ला बेरोजगार’ कहकर अपमानित करती थीं, आज उसी मंच पर जगह पा रही हैं,यह न केवल उन सैकड़ों युवाओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है, जिन्होंने अपने भविष्य को खतरे में डालकर आंदोलन का हिस्सा बने, बल्कि उन आदर्शों का भी अपमान है, जिनके लिए उत्तराखंड का गठन हुआ।
कार्तिक उपाध्याय ने इसे “सकारात्मक राजनीति को गलत दिशा में मोड़ने वाला कदम” बताते हुए चेतावनी दी कि उत्तराखंड के युवा इस अपमान को सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “हमारा संघर्ष आज भी जीवित है, यह लड़ाई किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल के लिए नहीं, बल्कि उत्तराखंड के गौरव और उन मूल्यों के लिए है जिन पर यह राज्य बना है।”
यह मामला अब तेजी से तूल पकड़ रहा है और युवाओं के बीच गहरी असहमति का विषय बन गया है। कार्तिक ने अपनी बात के अंत में कहा, “हमने पहले भी अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और आगे भी लड़ते रहेंगे,यह हमारे आत्मसम्मान की लड़ाई है। उत्तराखंड के युवा इसे कभी नहीं भूलेंगे।”
उत्तराखंड में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों के बीच यह मुद्दा भविष्य में बड़ा मोड़ ले सकता है। क्या युवा आंदोलनकारियों की यह नाराजगी तीसरे विकल्प का रास्ता बदलेगी यह देखना होगा।