बड़ी खबर : उत्तराखंड में मत्स्य घोटाला ! एक को ही सभी जलाशयों के ठेके देने की तैयारी
मत्स्य अभिकरण की टेंडर प्रक्रिया में निम्न अनिमियता की गयी हैं । जो स्पष्ट रूप से किसी व्यक्ति विशेष को लाभ देने को इंगित करते हैं ।
1-: तुमरिया डैम पर मात्र 1 टेंडर डाला गया । यह टेंडर अनीता देवी पत्नी अजमेर सिंह की फर्म की ओर से डाला गया और सचिव / मंत्री एक टेंडर के बाद भी इसी व्यक्ति का टेंडर फाइनल करने जा रहा है ।
2-: शेष सभी डैम में सिक्योरिटी मनी ( धरोहर धनराशि ) कुल टेंडर मूल्य का 10% माँगी गई । जो नियमानुसार है । किंतु तुमरिया डैम में यह 15 लाख किस नियम के अंतर्गत कर दी गयी ?
3-: धरोहर धनराशि के अतिरिक्त टेंडर डालने वालों से बैंक गारंटी और 5 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का टर्नओवर भी मांग लिया गया । जिस फर्म से यह डील हुई थी , उसका टर्नओवर भी 5 करोड़ प्रतिवर्ष नहीं था । तब रातोंरात नियम बदलकर , 5 करोड़ का टर्नओवर 3 साल में कर दिया गया । यानि 3 साल के वांछित टर्नओवर 15 करोड़ से सीधे गिराकर 5 करोड़ कर दिया गया ।
विभाग जब धरोहर राशि ले रहा है, , डैम संचालन की राशि एडवांस ले रहा है , बैंक गारंटी ले रहा है तो फिर टर्नओवर की शर्त क्यों ? सिर्फ एक फर्म को काम दिये जाने के लिये ?
4-: विभाग द्वारा डैम संचालन की अवधि 5 वर्ष निर्धारित है । इससे अधिक अवधि के कैबिनेट की मंजूरी के उपरांत शासनादेश अनिवार्य होता है । किंतु विभाग ने यह शासनादेश कब हासिल किया, इस संदर्भ में कोई भी जानकारी नहीं दी गयी ।
5-: जिन डैम पर 2 टेंडर पड़े । वहाँ निर्धारित फर्म के अतिरिक्त दूसरी फर्म एक ही थी , जो तकनीकी अहर्ता पूरी कर ही नहीं रही थी । स्पष्ट रूप से एक डमी फर्म थी , जिसे अजमेर सिंह के टेंडर को वैलिड बनाने के लिये गठित किया गया था ।
6-: यह दूसरी फर्म कौन सी थी , विभाग इसे इतना गोपनीय क्यों रख रहा था ?
7-: यह टेंडर ऑनलाइन था किंतु किस किस फर्म ने इसमें प्रतिभाग किया है, विभाग जानकारी क्यों नहीं दे रहा था ?
8-: टेंडर डाले जाने से पूर्व ही लाभार्थी फर्म को कैसे पता था कि टेंडर उसके पक्ष में खोले जायेंगे ? एक प्रतिष्ठित एवं विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता ने फर्म का यह दावा अपनी फेसबुक वॉल पर लिखने के साथ ही कुछ पत्रकारों को भी बताया । फर्म के संचालक , अन्य मछली ठेकेदारों के बीच मंत्री / सचिव और पूर्व डायरेक्टर ( वर्तमान में सलाहकार ) से सैटिंग की बात कर रहे थे ।
9-: तकनीकी निविदा खुलने से पूर्व ही लाभार्थी फर्म ने कुछ डैम, संचालन के लिये एक अन्य ठेकेदार को सबलेट कर दिये थे और दोनों लाभार्थी डैम में डाले जाने के लिये , मछली के बच्चे खरीदने के लिये सप्लायर्स से संपर्क कर रहे थे । जाँच की स्थिति में वो सप्लायर गवाही हेतु आने को तैयार हैं ।
10-: तकनीकी निविदा खुलने से पूर्व ही उपरोक्त अजमेर सिंह की फर्म के द्वारा इस प्रकार की खरीद के लिये , एडवांस बांटे जाने की बात को सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता ज्ञानेंद्र कुमार ने अपनी वाल पर लिखी । उससे पहले ही पर्वतजन पोर्टल पर भी यह खबर प्रकाशित हो चुकी थी । लाभार्थी खुले आम मंत्री / सचिव / सलाहकार और मंत्री के लखनऊ वासी एक रिश्तेदार से लेनदेन फाइनल होने की बात खुलेआम कर रहे थे ।
11-: निविदादाता को डैम संचालन का 4 वर्ष का अनुभव मांगा गया । क्योंकि 3 वर्ष के अनुभवी कई निविदादाता हो रहे थे ।