देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी में महिला एवं बाल विकास विभाग से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। रायपुर क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों में छोटे बच्चों के पोषण आहार के तहत जो अंडे वितरित किए गए, वे सड़े और कीड़ों से भरे निकले। इस घटना ने विभाग की कार्यप्रणाली और आपूर्ति व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
गुणवत्ता पर उठे सवाल, विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने बताया कि उन्होंने घटिया गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों की शिकायत पहले भी की थी, लेकिन विभाग ने कार्रवाई के बजाय मीडिया और सोशल मीडिया पर बयान देने पर रोक लगा दी। कार्यकत्रियों का कहना है कि बार-बार चेतावनी के बावजूद विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
दीपनगर क्षेत्र में भी कुछ समय पहले गेहूं और चावल की खराब गुणवत्ता को लेकर शिकायतें दर्ज की गई थीं। अब सड़े अंडे मिलने से पोषण आहार की गुणवत्ता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लग गया है।
संगठन की प्रांतीय नेता का तीखा बयान
उत्तराखंड आंगनबाड़ी कार्यकत्री-सहायिका संगठन की प्रांतीय नेता रेखा नेगी ने कहा —
“क्या उत्तराखंड में कोई अंडे का सप्लायर नहीं है, जो बाहर की फर्म से घटिया माल मंगाया जा रहा है? यह बच्चों की सेहत से खिलवाड़ और भ्रष्टाचार की मिलीभगत का सीधा उदाहरण है।”
उन्होंने कहा कि यदि सरकार “जीरो टॉलरेंस” के अपने दावे को लेकर गंभीर है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
विभाग ने कहा – जांच के आदेश
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के उप निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यदि अनुबंधित फर्म या विभागीय स्तर पर किसी की भी लापरवाही पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं जिला कार्यक्रम अधिकारी जितेंद्र सिंह ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि अंडों की आपूर्ति निदेशालय से होती है, और वही जानकारी देने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कुछ लोगों पर मामले को “सनसनीखेज” बनाने का आरोप भी लगाया।
बड़ी बात: राजधानी में ही जवाबदेही पर सवाल
राजधानी देहरादून में ही सड़े अंडों की आपूर्ति का यह मामला महिला एवं बाल विकास विभाग की आपूर्ति प्रणाली और मॉनिटरिंग तंत्र पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। यह सिर्फ एक लापरवाही नहीं बल्कि मासूम बच्चों की सेहत से खुला खिलवाड़ है।












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