उत्तराखंड परिवहन निगम में अधिकारियों और अनुबंधित बस आपरेटरों के बीच चल रहे गठजोड़ की परतें अभी विजिलेंस ने उधेड़ी भी नहीं कि आधा दर्जन अधिकारियों में खलबली मचने लग गई है। वर्षों से चले आ रहे इस ‘खेल’ में अकेले डीजीएम (वित्त) भूपेंद्र कुमार ही नहीं, बल्कि आधा दर्जन और अधिकारी भी शामिल बताए जा रहे हैं। इन सभी पर अनुबंधित बस आपरेटरों व अनुबंधित ढाबा संचालकों से रिश्वत की रकम अपने व परिवार के सदस्यों के खातों में लेने का आरोप है। विजिलेंस सूत्रों की मानें तो जांच में परिवहन निगम के उन सभी अधिकारियों को शामिल किया जाएगा, जो अनुबंधित बस आपरेटरों की भुगतान प्रक्रिया से जुड़े हुए हैं। राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष व परिवहन निगम से सेवानिवृत्त दिनेश गोसाई की ओर से डीजीएम भूपेंद्र कुमार के विरुद्ध 11 पेज का शिकायती पत्र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिया गया था।
इसमें डीजीएम भूपेंद्र कुमार व उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों की पूरी जानकारी के साथ यह बताया गया था कि किस-किस तारीख को अनुबंधित बस आपरेटर व ढाबा संचालकों ने इन खातों में धनराशि जमा की। डीजीएम भूपेंद्र के पंजाब नेशनल बैंक इंद्रानगर और यूनियन बैंक आफ इंडिया हरिद्वार बाईपास स्थित बैंक खाते में भी अलग-अलग तिथियों पर मोटी राशि जमा हुई। इसके अतिरिक्त भूपेंद्र कुमार की पत्नी, बेटे और बेटी के नाम पर संचालित बैंक खातों में भी लाखों रुपये अनुबंधित आपरेटरों की ओर से जमा कराए गए। भूपेंद्र कुमार पर निगम के सेवानिवृत्त कार्मिकों के लंबित देयकों का भुगतान करने की एवज में धनराशि वसूलने का आरोप भी है। मुख्यमंत्री धामी ने 23 जून को डीजीएम के विरुद्ध विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे। ऐसे में भूपेंद्र कुमार के साथ अब उन अधिकारियों की चिंता भी बढ़ गई है, जिन्होंने अनुबंधित आपरेटरों से अपने व अपने परिवार के सदस्यों के खातों में लेनदेन किया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ऐसे आधा दर्जन अधिकारी हैं। इनकी सूची भी परिवहन निगम कार्मिकों की ओर से विजिलेंस को उपलब्ध कराई जा चुकी है। विजिलेंस इन अधिकारियों को भी रडार पर लेकर चल रही है
अधिकारियों की चल रही ‘अपनी’ भी बसें
परिवहन निगम में कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं, जिनकी अपनी अनुबंधित एसी और साधारण बसें चल रहीं। इन्होंने अपने भाई-भतीजे के नाम पर बस का अनुबंध कराया हुआ है। पांच वर्ष पूर्व यह मामला काफी सुर्खियों में आया था और निगम प्रबंधन ने जांच कराने का दावा किया था, लेकिन न कभी जांच हुई और न बसें हटीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्तमान में भी कुछ डिपो के एजीएम से लेकर मुख्यालय में बैठे अधिकारियों की अनुबंधित बसें बेधड़क दौड़ रही हैं। इन बसों का भुगतान भी अन्य बस आपरेटरों के मुकाबले सबसे पहले होता है।
निलंबन को लेकर हो रहा मंथन
भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे डीजीएम भूपेंद्र कुमार के निलंबन को लेकर परिवहन निगम प्रबंधन में मंथन चल रहा है। निगम अधिकारियों ने बताया कि अभी शासन या विजिलेंस से जांच से संबंधित कोई अधिकारिक पत्र नहीं आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बताया जा रहा है कि जांच से संबंधित पत्र मिलते ही डीजीएम भूपेंद्र कुमार पर निलंबन या स्थान परिवर्तन की कार्रवाई की जाएगी।
एसपी विजिलेंस धीरेंद्र गुंज्याल का कहना है कि अभी शासन से लिखित में जांच के आदेश नहीं आए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए आदेश के क्रम में विजिलेंस ने जांच की तैयारी पूरी कर ली है। जिस शिकायती पत्र पर डीजीएम के विरुद्ध जांच के आदेश मुख्यमंत्री ने दिए हैं, उसकी प्रति विजिलेंस प्राप्त कर चुकी है। इसमें विभिन्न बैंक खातों में लेनदेन का जिक्र है। निगम के अनुबंधित बस आपरेटरों और अनुबंधित ढाबा संचालकों के भुगतान से जुड़ी पूरी प्रक्रिया की विस्तृत जांच की जाएगी। उत्तराखंड परिवहन निगम के जीएम दीपक जैन का कहना है कि विजिलेंस या शासन से अभी इस संबंध में कोई पत्र नहीं मिला है। पत्र मिलने के बाद डीजीएम भूपेंद्र कुमार पर नियमानुसार विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी। जांच में विजिलेंस को पूरा सहयोग किया जाएगा।