सौर ऊर्जा प्लांट लगाने वालों को अब इससे और अधिक कमाई होगी। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने इन प्लांट से पैदा होने वाली बिजली की कीमतें बढ़ा दी हैं। वहीं, पहली बार वर्चुअल नेट मीटरिंग व ग्रुप नेट मीटरिंग लाई गई है। जो उद्योग बची हुई बिजली यूपीसीएल के पास पावर बैंक करेंगे, उन्हें भी आयोग ने राहत दी है।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित रेगुलेशन जारी कर दिए हैं। ये 2023 से 2028 तक के लिए लागू होंगे। आयोग के सचिव नीरज सती ने बताया कि इसके तहत सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाने वालों को अब उत्पादित बिजली पर 4.64 रुपये प्रति यूनिट की दर से कमाई होगी। पहले यह दरें 4.49 रुपये प्रति यूनिट थीं।
आयोग ने ये भी तय कर दिया है कि यूपीसीएल को हर साल कम से कम पांच प्रतिशत बिजली सौर ऊर्जा या अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से लेनी ही होगी। इसमें उत्तराखंड सरकार की सौर ऊर्जा नीति के सभी बिंदुओं को समाहित किया गया है। ग्रीन एनर्जी रेगुलेशन भी शामिल किया गया है, जिसके तहत अगर कोई उद्योगपति चाहेगा तो वह केवल ग्रीन ऊर्जा से अपने उद्योग चला सकेगा।
कहीं बिजली पैदा करो, कहीं बिल में एडजस्ट करो
नियामक आयोग ने पहली बार राज्य में वर्चुअल नेट मीटरिंग व ग्रुप नेट मीटरिंग की शुरुआत की है। संयुक्त सचिव गौरव सभरवाल ने बताया कि वर्चुअल नेट मीटरिंग के तहत अगर कोई व्यक्ति बागेश्वर में अपने गांव की जमीन पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली पैदा कर रहा है तो वह देहरादून में अपने उद्योग या घर में उस बिजली को एडजस्ट करा सकता है। इसी प्रकार, गांव में पांच-सात लोग मिलकर अपना सोलर प्लांट लगा सकते हैं और अपने-अपने घर की बिजली में उसे एडजस्ट कर सकते हैं।
पावर बैंकिंग भी हुई सस्ती
नियामक आयोग ने उद्योगों को भी बढ़ी राहत दी है। अभी तक बची हुई बिजली को यूपीसीएल में बैंक करने पर उन्हें 12.5 प्रतिशत का खर्च देना होता था जो कि घटाकर आठ प्रतिशत कर दिया गया है। नियामक आयोग के मुताबिक, अगर यूपीसीएल में कोई उद्योग 100 यूनिट बिजली बैंक करेगा तो उसमें से आठ प्रतिशत काटकर बाकी लौटा देगा। 92 यूनिट वापस मिलेगी।
सोलर प्लांट की कोस्ट घटी, लेकिन मेंटिनेंस बढ़ा
नियामक आयोग ने नए सोलर प्लांट की कोस्ट तो मामूली कम की है लेकिन इसका ऑपरेशन व मेंटिनेंस बढ़ा दिया है। यह राज्य में 16 लाख रुपये प्रति मेगावाट होगा, जो हिमाचल व अन्य राज्यों से ज्यादा है।