कपकोट के सीमांत गांव हामटी कापड़ी के 13 घरों पर दरारें :-तीन सालों से नहीं ले रहा कोई सुध
ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
उत्तराखंड में मानसून लगातार आपदा के रूप में बरस रहा है पहाड़ से लेकर मैदान जलमग्न हुए पड़े हैं उत्तराखंड के पहाड़ मानसून में संवेदनशील बने रहते हैं।
बागेश्वर कपकोट के सीमांत गांव हामटी कापड़ी के 13 घरों में दरारें पड़ी हुई है यह दरार आज नहीं बल्कि 3 वर्ष पूर्व मकान में दिखनी शुरू हो गई थी लेकिन प्रभावित परिवारों के प्रति क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि एवं जिम्मेदार अधिकारी और संवेदनशील नजर आते हैं,इस बार भी मानसून की बारिश भी इन सीमांत गांव के लिए चुनौती बनी हुई है जगह-जगह दरारें हैं गांव के स्कूल जर्जर अवस्था में भूस्खलन हो रहा है लेकिन ग्रामीणों की सुध नहीं ली जा रही।
बिचला दानपुर का सीमांत गाँव हामटी कापड़ी कई वर्षों से आपदा की मार झेल रहा है,पिछले तीन वर्षों से हर बरसात में वहाँ के कई घरों में और प्राथमिक विद्यालय में ददारे आ रही हैं,ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक 13 परिवार प्रभावित हुए है,कई घरों के दीवारों में दरार तो कई के छतों में दरार और कई घरों का आँगन टूट चुके है।
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले वर्ष प्रशासन की टीम जायज़ा के लिये आई परंतु अभी तक कोई संतोषजनक कार्यवाही नहीं हुई।
कुमाऊँ संयोजक उत्तराखण्ड बेरोज़गार संघ भूपेन्द्र कोरंगा ने बताया कि तीन दिन पहले विद्यालय के भवन का बिंब गिरने पर तहसीलदार कपकोट को मेरे द्वारा संज्ञान दिलाया उसके बावजूद प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली है जिसके बाद उनके द्वारा हामटी कापड़ी का दौरा किया और ग्रामीणों से वार्ता की,भूपेन्द्र कोरंगा ने अपने साथियों के साथ मिलकर आपदा से ग्रस्त सभी लोगों की जानकारी जुटाई है जो बहुत जल्द प्रशासन को सौंपेंगे।
भूपेन्द्र कोरंगा ने प्रशासन को चेताया है कि यदि आतिशीघ्र प्रभावित परिवारों को विस्थापित और उचित मुआवज़ा नहीं दिया गया तो वो ग्रामीणों के साथ आंदोलन करेंगे।
इस दौरान ग्रामीण यमुना कोरंगा, प्रवीन कोरंगा, दीपक कोरंगा,धीरज कोरंगा,नारायण कोरंगा,चारु कोरंगा सहित अन्य साथी मौजूद थे।
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