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देवभूमि को खेलभूमि बनाने की योजना शुरुआत में ही संकट में पड़ती दिख रही है। 38वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारी में अहम भूमिका निभाने वाले 272 कॉन्ट्रैक्ट कोचों का भविष्य अधर में लटक गया है, क्योंकि उनके मानदेय के लिए आवश्यक बजट में भारी कटौती कर दी गई है।
इन कोचों के वेतन के लिए 11 करोड़ रुपये की आवश्यकता थी, लेकिन सरकार ने मात्र 10 लाख रुपये ही आवंटित किए हैं। परिणामस्वरूप, फरवरी के अंत में इनका अनुबंध समाप्त हो जाएगा, और यदि बजट की व्यवस्था नहीं हुई, तो वेतनहीन स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
खेल विभाग में बढ़ी चिंता, योजनाएं लड़खड़ाईं
खेल विभाग इस बजटीय कटौती से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। राज्य में स्थायी कोचों की संख्या केवल 25-30 है, जबकि राष्ट्रीय खेलों के लिए नियुक्त किए गए 272 कॉन्ट्रैक्ट कोचों ने उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक प्रदर्शन सुनिश्चित किया। वे प्रदेश के विश्वस्तरीय खेल बुनियादी ढांचे में खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए तत्पर थे, लेकिन अब उन्हें गहरी निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
अनुपूरक बजट पर टिकी उम्मीदें
सूत्रों के अनुसार, कुल 850 करोड़ रुपये की आवश्यकता के मुकाबले केवल 250 करोड़ रुपये का बजट ही स्वीकृत किया गया, जिससे राष्ट्रीय खेलों के पदक विजेताओं की इनामी राशि भी अटकी हुई है। हालांकि, खिलाड़ियों की इनामी राशि के लिए अनुपूरक बजट लाने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन कोचों के मानदेय को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में खेल प्रशिक्षण की जिम्मेदारी संभाल रहे इन कोचों का भविष्य अब अनिश्चित हो गया है। सवाल यह है कि मार्च से उनके वेतन की व्यवस्था कैसे होगी, और क्या सरकार इस मामले में कोई ठोस कदम उठाएगी?