रिपोर्ट:-कार्तिक उपाध्याय
क्योंकि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है तो यहां पर वन संपदा की कोई कमी नहीं,यही कारण है पहाड़ों पर बसे गांव के लोगों की एक बड़ी चुनौती यह भी है कि वन्य जीवो से किस तरह सुरक्षित रहें
हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गौनिया द्वारा इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी गई,कि अब तक राज्य में वन्य जीवो द्वारा कितने लोगों की जान ले ली गई है सूचना अधिकार में प्राप्त आंकड़े चिंताजनक है
प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि 2000 से 2022 तक वन्य जीवो द्वारा 1054 लोगों की जान ले ली गई वहीं 5112 लोगों को घायल किया गया
वर्षवार यदि मृत लोगों की सूची देखी जाए तो पिछला वर्ष घातक रहा है और यह आंकड़े चिंताजनक हैं
वर्ष 2022 में बाघ गुलदार द्वारा हमले में 82 लोगों की मृत्यु हुई है वही 325 लोग घायल हुए
यदि पिछले 12 वर्ष के आंकड़े देखे जाएं तो प्रतिवर्ष वन्य जीवो द्वारा मारे जाने वाले नागरिकों की संख्या बढ़ी है
साल 2011 में 50 मौत,2012 में 51,2014 में 52,2015 में 62,2016 में 66,2017 में 39 2018 में 52,2019 में 54 2020 में 62,2021 में 59 तथा 2022 में 82 लोगों को वन्यजीवों ने अपना शिकार बना कर मौत के घाट उतारा है L
बात वर्तमान वर्ष की करें तो पिछले 4 माह में अब तक बाघ द्वारा 6 लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है
हालांकि राज्य सरकार लगातार वन्यजीवों से नागरिकों की सुरक्षा के लिए बजट खर्च करते आई है परंतु उसका कुछ भी असर दिखता राज्य में नजर नहीं आ रहा
लगातार पहाड़ से पलायन हो रहा है और यह भी एक कारण है कि लोगों की संख्या कम होने के कारण वन्य जीवो द्वारा लगातार हमले बढ़ रहे हैं
हेमंत गौनिया द्वारा इस सूचना में यह भी जानकारी मांगी गई की हमले में मारे जाने वाले एवं घायलों को मुआवजा कितना दिया गया,इसके लिए कितना बजट रखा गया और कितना बजट अभी शेष है
इसके जवाब में सूचना प्राप्त हुई की मानव वन्य जीव संघर्ष वितरण निधि की नियमावली नवंबर 2012 से लागू हुई अत: उससे पूर्व की जानकारी का विवरण विभाग के पास नहीं हैं
वर्ष 2012 से 2022-23 तक विभाग को 11863.51 लाख रुपया बजट प्राप्त हुआ
जिसके सापेक्ष 10890.67 रुपया खर्च किया गया है,साथ ही 937 लाख रुपया ब्याज रहित शासन को समर्पित कर दी गई है एवं नियोजन स्तर पर 35.34 लाख धनराशि शेष है।