रिर्पोट – भाविका बिष्ट
उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण कराने वालों को अब और भी कड़ी सजा दी जाएगी। 2008 से लागु कानून के अनुसार जबरन धर्मांतरण कराने वालों के लिए 1 से 5 साल की सजा का प्रावधान था। लेकिन अब दोषियों को आसानी से जमानत नहीं मिल पाएगी।
उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में बहुत तरह से कई जगहों पर धर्मांतरण हो रहा था। यह भविष्य के लिए एक गंभीर विषय बनता जा रहा है, जिसके तहत उत्तराखंड सरकार ने धर्मांतरण विरोधी बिल पारित किया, जो राज्य में गैर-कानूनी धर्म परिवर्तन को एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाता है, जिसमें कम से कम तीन साल और अधिकतम 10 साल की जेल की सजा हो सकती है और साथ ही और साथ ही जुर्माने की सजा का प्रावधान दिया है।
क्या कहता है नया कानून?
1. नए कानून के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जबरन, लालच देकर या धोखे से किसी भी व्यक्ति को एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित नहीं कर सकता है।
2. यदि उसपे इस प्रकार का आरोप लगता है तो,दोषी पाए जाने पर उसे न्यूनतम 3 से अधिकतम 10 साल तक की कैद हो सकती है। साथ ही दोषी को 50 हजार रुपये का जुर्माना भी देना होगा।
3. नए कानून में पीड़ित के लिए मुआवजे का भी प्रावधान है। नया कानून कहता है कि जबरन धर्मांतरण करने वाले को कम से कम 5 लाख रुपये पीड़ित को देने होंगे।
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