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देहरादून। उत्तराखंड पेयजल निगम एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में है। विभाग में भ्रष्टाचार, टेंडर घोटाले और नियुक्ति में फर्जीवाड़े के मामले उजागर हो चुके हैं। जल जीवन मिशन जैसी महत्वपूर्ण योजना की साख पर भी सवाल उठने लगे हैं। अब मुख्यमंत्री स्तर की सतर्कता समिति ने पेयजल निगम के मुख्य अभियंता एसके विकास के खिलाफ विजिलेंस जांच की अनुमति देकर कार्रवाई का संकेत दे दिया है।
टेंडर के बदले घूंसखोरी, पत्नी के खाते में ट्रांसफर कराए पैसे
मुख्य अभियंता एसके विकास पर आरोप है कि उन्होंने ठेकेदार से टेंडर आवंटन के बदले अपनी पत्नी के बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर करवाया। यह मामला सतर्कता समिति के संज्ञान में आने के बाद जांच को हरी झंडी मिल गई है।
कई जिलों में उजागर हुईं गड़बड़ियां, अफसरों की मिलीभगत के संकेत
राज्य के टिहरी, चमोली, गोपेश्वर, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और नैनीताल जिलों में जल योजनाओं के टेंडर आवंटन में भारी अनियमितता की बात सामने आई है। खासकर टिहरी जिले की कफोलस्यूं, लक्ष्मीली ढुंगी की धार और प्रतापनगर योजनाओं में इंजीनियरों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।
पौड़ी में एक ही ठेकेदार को 16 योजनाएं, सभी टेंडर रद्द
पौड़ी जिले में तो 22 योजनाओं में से 16 को केवल चार दिनों में एक ही ठेकेदार को सौंप दिया गया। मामला उजागर होने के बाद सारे टेंडर रद्द कर दिए गए और अब यह मामला प्रवर्तन निदेशालय (ED) तक पहुंच गया है।
नौकरी पाने को लगाया जाति प्रमाणपत्र का खेल, शासन से मांगी गई राय
वर्ष 2012 की सहायक अभियंता भर्ती में एक अभ्यर्थी द्वारा दो अलग-अलग जिलों (बिजनौर और पौड़ी) के जाति प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल कर नौकरी हासिल करने का मामला सामने आया है। अब यह फाइल शासन और विधि विभाग की राय के लिए भेज दी गई है। तब तक विभागीय कार्रवाई पर रोक लगी हुई है।
पेयजल सचिव का सख्त संदेश: बख्शे नहीं जाएंगे दोषी अधिकारी
पेयजल सचिव शैलेश बगौली ने साफ कहा है कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विजिलेंस जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय है। साथ ही लंबित मामलों में भी जल्द निष्कर्ष निकालने के निर्देश दिए गए हैं।
निष्कर्ष: पेयजल निगम में बदलाव की आहट
उत्तराखंड सरकार अब पेयजल निगम में व्याप्त अनियमितताओं को खत्म करने की दिशा में गंभीर दिखाई दे रही है। टेंडर फर्जीवाड़ा, गलत ढंग से की गई भर्तियां और अफसर-ठेकेदार गठजोड़ के खिलाफ यह कार्रवाई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड के संकल्प की एक ठोस झलक मानी जा रही है।
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