उत्तराखंड में उबाल: भूख हड़ताल पर अडिग आंदोलनकारी, संकल्प—या मंत्री की कुर्सी जाएगी या प्राण
✍️ ब्यूरो रिपोर्ट | उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
गैरसैंण का रामलीला मैदान इस समय जनाक्रोश का केंद्र बना हुआ है। पूर्व सैनिक भुवन सिंह कठायत अपनी पांचवें दिन की भूख हड़ताल पर अडिग हैं, वहीं किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय और सैनिक पुत्री कुसुम लता बौड़ाई भी तीसरे दिन से अपने अनशन और मौन व्रत पर डटे हुए हैं।
राष्ट्रपति को खून से लिखा पत्र
आंदोलनकारियों ने तहसीलदार गैरसैंण के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को खून से लिखा पत्र भेजा है, जिसमें कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की बर्खास्तगी की मांग की गई है।
‘मौन व्रत और फिर… अंतिम बलिदान!’
पूर्व सैनिक भुवन सिंह कठायत का कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगों को अनसुना करती रही तो शाम 5 बजे से वे मौन धारण करेंगे। अगर इसके बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता तो आखिरी विकल्प प्राण त्याग होगा।
‘पहाड़ का अपमान सहन नहीं!’
किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने मुख्यमंत्री पर पहाड़ी समाज की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा—
“अब या तो मंत्री की कुर्सी जाएगी या हम अपना जीवन न्योछावर कर देंगे!”
वहीं, सैनिक पुत्री कुसुम लता बौड़ाई ने भावुक होकर कहा—
“हम पहाड़ का अपमान सहन नहीं कर सकते। समाज में बिना स्वाभिमान जीवित व्यक्ति मृत के समान होता है।”
सरकार पर बढ़ा दबाव, लेकिन अब तक चुप्पी!
आंदोलनकारियों की स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है, लेकिन प्रशासन अब तक केवल मौन धारण किए हुए है। उधर, जनता में भी भारी आक्रोश देखा जा रहा है। सवाल यह है कि सरकार कब तक इस आवाज को अनसुना करेगी? क्या कोई समाधान निकलेगा या संघर्ष और तेज होगा?
उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट लगातार इस मामले पर नजर बनाए हुए है।