यह दर आंध्र प्रदेश (8.2%) और केरल (8%) जैसे राज्यों से भी ऊपर है। वहीं, राष्ट्रीय औसत बेरोजगारी दर 5.2% रही, जो पिछली तिमाही के 5.4% से मामूली सुधार दिखाती है।
रिपोर्ट के आंकड़े: शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी बनी चिंता
Ministry of Statistics and Programme Implementation (MOSPI) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 4.8% दर्ज की गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह बढ़कर 6.9% हो गई।
रिपोर्ट में 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 564,828 व्यक्तियों और 1.33 लाख से अधिक परिवारों को शामिल किया गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में रोजगार के सीमित अवसर और स्किल गैप अब भी प्रमुख कारण बने हुए हैं।
निवेश के दावे और हकीकत का अंतर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिसंबर 2023 में हुए उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 3.56 लाख करोड़ रुपये के निवेश एमओयू साइन होने की घोषणा की थी।
हाल ही में सीएम ने दावा किया था कि 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश ‘ग्राउंडिंग स्टेज’ पर पहुंच चुका है, जिससे हजारों रोजगार सृजित हुए हैं।
हालांकि, PLFS रिपोर्ट इन दावों के समानांतर एक अलग तस्वीर दिखाती है।
अगर निवेश वास्तव में ज़मीन पर उतर चुका है, तो बेरोजगारी दर में इतनी बड़ी बढ़ोतरी क्यों? यही सवाल अब सरकार की नीति पर उठ रहा है।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि एमओयू साइन होने और रोजगार सृजन के बीच लंबा अंतराल है। कई प्रोजेक्ट्स अभी शुरुआती चरण में हैं, जिसके कारण युवाओं को तत्काल लाभ नहीं मिल पा रहा।
महिलाओं की भागीदारी में मामूली सुधार, युवाओं में गिरावट
रिपोर्ट में लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
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पुरुष LFPR: 77.3% (पहले 77.2%)
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महिला LFPR: 33.7% (पहले 33.4%)
मंत्रालय ने इसे “modest upward movement” कहा है, लेकिन 15–29 वर्ष की आयु वर्ग में भागीदारी में गिरावट देखी गई।
महिलाओं में यह 42% से घटकर 41.3% और पुरुषों में 61.1% से 61.4% रही।
ग्रामीण राहत और सेक्टर-वार तस्वीर
ग्रामीण इलाकों में स्व-रोजगार और पारिवारिक कार्यबल में 37% की वृद्धि दर्ज की गई है।
वहीं, सेकेंडरी सेक्टर (24.2%) और टर्शियरी सेक्टर (33.5%) में रोजगार सृजन धीमा रहा।
कृषि क्षेत्र में 53.5% से बढ़कर 57.7% की भागीदारी को रिपोर्ट ने खेती-किसानी गतिविधियों में वृद्धि से जोड़ा है।
विपक्ष के तेवर और सरकार की सफाई
कांग्रेस ने रिपोर्ट को धामी सरकार के “कागजी निवेश मॉडल” पर करारा जवाब बताया।
पार्टी नेताओं ने कहा, “सरकार निवेश की बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन रोजगार के आंकड़े हकीकत बयान कर रहे हैं।”
वहीं, सरकार का कहना है कि निवेश के दीर्घकालिक परिणाम जल्द दिखेंगे और कई प्रोजेक्ट्स पर काम जारी है।
युवाओं के लिए चेतावनी और नीति सुधार की जरूरत
PLFS रिपोर्ट ने साफ किया है कि उत्तराखंड को अब केवल निवेश घोषणाओं से आगे बढ़कर वास्तविक रोजगार नीति पर काम करना होगा।
राज्य के शिक्षित युवाओं के लिए यह रिपोर्ट एक चेतावनी संकेत है कि अगर स्किल डेवलपमेंट और लोकल एम्प्लॉयमेंट को बढ़ावा नहीं मिला, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।












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