सचिव दीपेंद्र कुमार चौघरी द्वारा 11 नवंबर को प्रबंध निदेशक, उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम (UPNL) को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जो कर्मचारी हड़ताल के कारण अपनी ड्यूटी पर उपस्थित नहीं हो रहे हैं, उनकी उपस्थिति को निलंबित अथवा अनुपस्थिति के रूप में दर्ज किया जाए। साथ ही, संबंधित विभागों को उनके वेतन में कटौती करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
हड़ताल पर बड़ा प्रभाव
शासन के इस सख्त फैसले से हड़तालरत कर्मचारियों में असंतोष बढ़ सकता है। उपनल कर्मचारी नियमितीकरण, समान कार्य का समान वेतन, और अन्य मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे हैं।
तत्काल अनुपालन के आदेश
चौघरी ने पत्र में यह भी कहा है कि सभी विभाग, संस्थान और निगम इस आदेश को तुरंत लागू करें और अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि आदेश का पालन न करने वाले अधिकारियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
कर्मचारी संगठन का रुख
कर्मचारी संगठनों ने शासन के आदेश को “कठोर” बताया है और कहा है कि वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। साथ ही, उन्होंने शासन से बातचीत बहाल करने की मांग की है।
विशेषज्ञों की राय
श्रम विशेषज्ञों का मानना है कि ‘No Work No Pay’ नीति लागू होने से कर्मचारियों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा और इससे हड़ताल कमजोर पड़ सकती है।
शासन का तर्क है कि यह निर्णय श्रम कानूनों के अनुरूप है और सरकारी कार्यप्रणाली को सुचारू रखने के लिए आवश्यक है।












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