देहरादून: उत्तराखंड में सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने 23 साल बाद अपनी कार्यशैली में बड़ा बदलाव किया है। अब रिश्वतखोर को पकड़ने से पहले मुकदमा दर्ज किया जाएगा। यानी शिकायत मिलने पर विजिलेंस पहले केस लिखेगी और उसके बाद ही गिरफ्तारी की कार्रवाई होगी। इस पैटर्न को अपनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है।
ईडी की तरह बदलेगी कार्रवाई का तरीका
अभी तक विजिलेंस की कार्यवाही में रिश्वतखोर को रंगेहाथ पकड़ने के बाद मुकदमा दर्ज किया जाता था, जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ED) पहले केस दर्ज करता है और फिर गिरफ्तारी करता है। अब विजिलेंस भी ईडी की तर्ज पर काम करेगी।
पुरानी प्रक्रिया कैसी थी?
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शिकायत मिलने पर विजिलेंस ट्रैप टीम का गठन करती थी।
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इंस्पेक्टर की अगुवाई में टीम गोपनीय जांच करती थी।
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रिश्वत की पुष्टि होने पर दूसरी टीम बनाई जाती थी।
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शिकायतकर्ता तयशुदा रकम पर रंग लगाकर आरोपी के पास जाता था।
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रिश्वत लेते ही आरोपी को रंगेहाथ गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज होता था।
नई व्यवस्था में क्या बदलेगा?
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पहले मुकदमा दर्ज होगा, फिर गिरफ्तारी होगी।
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अब इंस्पेक्टर वादी नहीं, बल्कि शिकायतकर्ता वादी बनेगा।
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शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाएगा।
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जांच और आगे की कार्रवाई पहले की तरह विजिलेंस ही करेगी।
हाईकोर्ट की सख्ती बनी वजह
10 मई को हल्द्वानी सेक्टर की विजिलेंस ने नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश कुमार राणा और कोषागार के एकाउंटेंट बसंत कुमार जोशी को 1.20 लाख रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।
मामला हाईकोर्ट पहुंचने पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब विजिलेंस और ईडी की प्रक्रिया लगभग समान है, तो मुकदमा दर्ज करने में देरी क्यों? इसके बाद ही विजिलेंस ने अपना पैटर्न बदल दिया।
विजिलेंस निदेशक का बयान
“रिश्वतखोर को पकड़वाने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा। आधुनिक दौर में विजिलेंस की कार्रवाई में कई बदलाव किए गए हैं।” – वी मुरुगेश्वर, निदेशक विजिलेंस
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