क्या है नया अधिनियम?
इस विधेयक को हाल ही में कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है और इसे गैरसैंण विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। विधेयक के लागू होते ही उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड (2016) और गैर-सरकारी अरबी-फारसी मदरसा अधिनियम (2019) दोनों समाप्त हो जाएंगे।
नए कानून के तहत केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी और सिख समुदाय के शैक्षिक संस्थान भी अल्पसंख्यक शिक्षा अधिनियम के दायरे में आएंगे।
मुख्यमंत्री धामी ने बताया फायदे
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि नए अधिनियम से शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता दोनों बढ़ेंगी।
“इससे अल्पसंख्यक समुदायों के संस्थानों को मान्यता लेने में आसानी होगी और शिक्षा में सुधार होगा। साथ ही गुरुमुखी और पाली भाषा भी पढ़ाई जाएगी। धार्मिक शिक्षा पर कोई रोक नहीं होगी।” – पुष्कर सिंह धामी, सीएम उत्तराखंड
विपक्ष का विरोध
इस फैसले को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि सरकार का मकसद शिक्षा सुधार नहीं बल्कि राजनीति है।
“बीजेपी विकास की बजाय हिंदू-मुस्लिम का नैरेटिव गढ़ रही है। अगर शिक्षा उन्नयन ही मकसद था तो बोर्ड बनाने की जरूरत नहीं थी।” – करण माहरा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष
कांग्रेस प्रवक्ता सुजाता पॉल ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब सरकारी स्कूलों में शिक्षक और सुविधाओं की भारी कमी है, तब इस तरह के नए कानून लाकर जनता को गुमराह किया जा रहा है।
मुस्लिम समुदाय और जानकारों की राय
इस्लामिक मामलों के जानकार खुर्शीद अहमद ने इसे संविधान के अनुच्छेद 30 (a) का उल्लंघन बताया। उनका कहना है कि पहले से ही देश में अल्पसंख्यक आयोग मौजूद है, इसलिए नया प्राधिकरण बनाना गैरजरूरी है।
वहीं, उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इस कदम का स्वागत किया और कहा कि धार्मिक शिक्षा पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
बीजेपी ने बताया ऐतिहासिक फैसला
बीजेपी विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि यह दूरगामी और सकारात्मक फैसला है, जिससे मुस्लिम समेत अन्य समुदायों की शिक्षा की दिशा बदल जाएगी।
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय एक ओर जहां शिक्षा में सुधार और पारदर्शिता का दावा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष और मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्ग इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। अब विधानसभा से विधेयक पास होने के बाद ही यह तय होगा कि यह कदम शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देगा या विवादों में फंसा रहेगा।
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