रिपोर्ट : कार्तिक उपाध्याय
उत्तराखंड में विधानसभा बजट सत्र आज से शुरू हो गया है,यह सत्र पहले तो राजधानी गैरसैंण को लेकर चर्चा में रहा,लेकिन इस समय जो राज्य के हालात नज़र आ रहे हैं तो बजट सत्र से अधिक ऐसा लग रहा है कि आंदोलन सत्र नागरिकों द्वारा चलाया जा रहा हों।
आज बजट सत्र का पहला दिन था,जहां एक तरफ विधानसभा के रीति रिवाज के अनुसार मुख्यमंत्री महोदय द्वारा नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात की गई,विधानसभा स्पीकर से मुलाकात की गई पेड़ पौधे पुष्पगुच्छ आदि इत्यादि भेंट किए गए,महामहिम राज्यपाल महोदय का अभिभाषण भी हुआ।
यह सब औपचारिकताएं पूरी की गई तो वहीं दूसरी तरफ,आज सत्र के पहले दिन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की गई विधानसभा के बाहर लगातार राज्य की आंगनबाड़ी महिलाएं डटी रही।
उत्तराखंड का बजट सत्र 5 दिन चलना है,आज पहले दिन की बात करें तो कल प्रातः 11:00 बजे के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।
विधानसभा के आसपास प्रशासन द्वारा दो दिन पूर्व ही निर्णय लेकर सत्र के दौरान धारा 144 लागू कर दी गई थी,जिससे यह तो स्पष्ट पता चलता है कि सरकार एवं प्रशासन को पहले से समझ आ गया था कि यह बजट सत्र दोनों के लिए आसान नहीं है।
आंदोलन से मिला राज्य पुनः आंदोलन की भूमि बनता जा रहा है,अब कल 11:00 बजे बाद देखना होगा कि कौन-कौन से विभाग फिर से विधानसभा का घेराव करेंगे,प्रशासन द्वारा विधानसभा के बाहर लगाई गई बेरीगेटिंग के सामने बैठेंगे
यदि हकीकत की बात करें तो राज्य के जितने हितैषी हैं पत्रकार,प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक,यूट्यूब,न्यूज पोर्टल हैं वह बजट सत्र पर कम नजर डाल रहे हैं,जबकि आंदोलनकारियों और उनके सवालों पर ज्यादा कारण आप स्वयं जानते हैं।
कुछ दिन पूर्व उपनल कर्मियों का आंदोलन नियमतिकरण के लिए देहरादून एकता विहार में चल रहा था जिसे 10% मानदेय बढ़ाकर खत्म कर दिया गया,जिसका आदेश भी जारी कर दिया गया है,लेकिन इस निर्णय से उपनल एवम संविदा कर्मचारी खुश नजर नहीं आ रहें बाकी आंदोलन का नेतृत्व कर रहें लोग कितना इससे संतुष्ट हैं यह उनसे मुलाकात के बाद ही कह पायेंगे फिलहाल आंदोलन खत्म हुआ तो यह कहना गलत नहीं होगा की इस आंदोलन को धामी सरकार ने जीत लिया।
परंतु राज्य में अब भी कई ऐसे मुद्दे हैं जो आने वाले चार दिनों के सत्र को प्रभावित करेंगे,उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट के सूत्र यह कहते हैं कि उत्तराखंड बेरोजगार संघ भी जल्द ही एक व्यापक आंदोलन राज्य में भर्ती घोटाले व पेपर लीक की सीबीआई जांच को लेकर इसी सत्र के बीच करने वाला है (जिसको लेकर आज बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने शोसल मीडिया में पोस्टर भी जारी कर दिया हैं,हालांकि अभी उसमें तिथि और समय नही दिया गया हैं पर हमारे सूत्र कहते हैं तैयारी पूरी कर ली गई हैं)तो वही मूल निवास और भू कानून को लेकर भी अगले चार दिनों में विधानसभा घेराव किया जा सकता है।
क्योंकि राज्य के तमाम विभाग अपनी-अपनी मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं इसलिए बजट सत्र से ज्यादा आंदोलन पर नजर रखना जरूरी हैं,अगर बात हल्द्वानी की जाए तो बुद्ध पार्क तिकोनिया में लगातार आशा कार्यकर्ता भी अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं,उनका कहना है कि एक न्यूनतम मानदेय में उनसे काम कराया जा रहा है और न सिर्फ अस्पतालों का नागरिकों का,उसके विपरीत सरकार द्वारा चुनाव से लेकर कई सारे विभागों के काम उनसे करवाए जा रहे हैं,उनकी आगे की रणनीति क्या रहेगी अभी कह पाना मुश्किल हैं।
कांग्रेस पर रहेगी नजर
इस बजट सत्र पर राज्य की दूसरी पार्टी पर भी नजर रहेगी,क्योंकि मूल निवास भू कानून जैसे मुद्दे पर कांग्रेस नेता व्यापक जनआंदोलन के बाद भी कुछ स्पष्ट कहने से बचते नजर आएं हैं,वहीं कांग्रेस के लिए अंकिता हत्याकांड एक ऐसा मुद्दा हैं जो सरकार को विधानसभा के भीतर ही कटघरे में खड़ा कर सकता हैं,हालांकि बजट सत्र हैं लेकिन चुने 70 विधायक जहां होंगे वहां सवाल जवाब सभी हो तो ही लोकतंत्र मजबूत होगा।
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