उत्तराखंड के बड़कोट (Barkot) क्षेत्र सहित पूरी यमुनाघाटी (Yamunaghati) में बीते दिन आई भयंकर ओलावृष्टि (Severe Hailstorm) ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। कुछ ही मिनटों की दैवीय आपदा में गेहूं, जौ, सब्ज़ियाँ और फलदार वृक्षों की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं।
इन गांवों में हुई फसलें पूरी तरह बर्बाद (Affected Villages by Hailstorm)
ओलावृष्टि से पाली, बढ़ाता, पुजार गांव, कुथनौर, हलना, नकोड़ा, कपोला, खनेड़ा, स्यालना, भनसाड़ी, नंदगांव, गीठ पट्टी, धारामंडल, कुर्सिल, स्यालव, सुकन गोल जैसे गांवों की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई हैं।
इसके अलावा खरसाली, नारायणपुरी, बनास, दुर्बिल, कुठार, बाडिया, राणा, निशनी, पिंडकी, मदेश, दंगुड़गांव, कुंशाला, कुपड़ा, त्रिखिली, ओजरी जैसे क्षेत्रों में भी किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
किसानों की टूटी उम्मीदें, सरकार से मदद की गुहार
किसानों ने बताया कि वे दिन-रात मेहनत करके फसलों की रखवाली करते हैं, लेकिन कुछ ही मिनटों की ओलावृष्टि ने उनकी आजीविका पर संकट खड़ा कर दिया है। क्षेत्र में किसानों में मायूसी और निराशा का माहौल है।
प्रशासन से क्षतिपूर्ति और मुआवजे की मांग
समाज सेवी महावीर पंवार ने अपील करते हुए कहा कि बड़कोट तहसील प्रशासन और उत्तराखंड सरकार से यह अनुरोध करता हूँ कि प्रभावित क्षेत्रों में फसल क्षति का तुरंत सर्वेक्षण (Crop Damage Assessment) किया जाए और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा (Compensation for Farmers) प्रदान किया जाए।
जलवायु परिवर्तन और फसलों पर खतरा (Climate Impact on Crops)
यह घटना जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का भी परिणाम मानी जा सकती है, जो अब पर्वतीय क्षेत्रों में भी अचानक बदलते मौसम (Extreme Weather Events) के रूप में सामने आ रहा है। यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आगे चलकर कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) पर गंभीर असर देखने को मिल सकता है।