ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
उत्तराखंड कुमाऊं के द्वार हल्द्वानी में त्रिवेंद्र रावत कार्यकाल से केंद्र सरकार की बड़ी परियोजना प्रस्तावित हैं,समय समय पर इसको लेकर चुनावी मौसम में खबरें शुरू हो जाती हैं।
अब एक बार फिर निकाय चुनाव हैं और रिंग रोड चर्चा में हैं लेकिन इस बार रिंग रोड बनने से ज्यादा केंद्र सरकार की इस बड़ी परियोजना,हल्द्वानी रिंग रोड परियोजना किसानों द्वारा किए जा रहें एक सूत्रीय विरोध को लेकर ज्यादा चर्चा में हैं,इस रिंग रोड को किसानों के खेत में बनाएं जाने की भनक लगते ही किसान गुस्से से आग बबूला हो उठे,बीते 2 सितंबर को अचानक पीडब्ल्यूडी विभाग की गड़िया रामपुर रोड गन्ना सेंटर के पास जमीन और दुकान का सीमांकन करने पहुंची और बताया हल्द्वानी की रिंग रोड मोटाहल्दु गन्ना सेंटर से लामाचौड़ तक बनेगी इसमें कई किसानों की जमीन मकान दुकान प्रभावित हो रहें हैं,उन्होंने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का विरोध कर उन्हें बिना सीमांकन के वापस भेज दिया।
इसके बाद ग्रामीण युवाओं ने किसान मकान बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया,समिति की एक सूत्रीय मांग हैं हल्द्वानी रिंग रोड परियोजना को किसानों के खेतों मकानों दुकानों से रद्द करों।
समिति के संस्थापक अध्यक्ष कार्तिक उपाध्याय ने बताया सरकार तानाशाही तरीके से किसानों की जमीनों को हड़पने का प्रयास कर रही हैं,उन्होंने कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत को भी सीधा सवाल किया हैं की उनकी विधानसभा के किसान उनकी सरकार की योजना के कारण उजड़ रहें हैं इसकी जानकारी उन्हें कब से हैं।
उन्होंने कहा अब सीधा इस रिंग रोड को रद्द करने के लिए व्यापक आंदोलन होगा क्योंकि जिन किसानों को सरकार उजाड़ने का मन बना रही वह इस परियोजना के खिलाफ हैं,समिति ने एक सूत्रीय मांग के लिए सभी ग्रामीणों से संगठित होने का ऐलान किया हैं,समिति ने आंदोलन की रूपरेखा कल दोपहर तक बताने की बात कही हैं।
इस रिंग रोड की परियोजना की घोषणा होते ही योजना से जुड़ी फाइल और खबरे प्रत्येक चुनाव के समय सामने आती हैं लेकिन हल आज तक नहीं निकला अब बड़ा सवाल यह भी हैं की जब किसान जमीन रिंग रोड के लिए देने को तैयार ही नहीं थे तो आखिर सर्वे में करोड़ो कैसे खर्च हुए।
राज्य की तमाम खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहिए उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट से,खबरों के लिए संपर्क करें +9175054446477,+91258656798