बंशीधर तिवारी ( Banshidhar Tiwari ) कमाल के अधिकारी हैं। यूं तो उनमें कई विशिष्ट गुण विद्यमान हैं। लेकिन कुछ गुण तो अद्भुत हैं। वो गुण हैं अपने अधीनस्थों से सम्मान पूर्वक व्यवहार करना। अपने विभाग को परिवार के रूप में देखना और सभी कार्मिकों के सुख-दुख में शामिल होना। वह जनता को जाति, धर्म, अमीर और गरीब की नजरों से नहीं देखते।
इन्हीं तमाम वजहों से वह जनप्रिय हैं।
तिवारी जी के मामले में एक बात गौर करने वाली है। उत्तराखण्ड के अब तक के इतिहास में वह सबसे लम्बे समय तक महानिदेशक शिक्षा के पद पर रहे। राज्य गठन के बाद से यहां 23 अधिकारी महानिदेशक बने हैं जिनमें से एकमात्र अधिकारी बंशीघर तिवारी हैं जिन्होंने लगातार तीन वर्ष से अधिक समय तक इस पद की जिम्मेदारी उठाई।
दूसरा नम्बर नम्रता कुमार का है। वह 21 माह तक शिक्षा महानिदेशक रहीं। जाते-जाते तिवारी एक और रिकॉर्ड शिक्षा विभाग में बना गए। वह पहले शिक्षा महानिदेशक हैं जिनको पूरे निदेशालय के कार्मिकों ने शानदार विदाई दी। रविवार को सहस्रधारा रोड स्थित एक होटल में विदाई समारोह आयोजित किया गया।
समारोह का खर्च उठाने के लिए जिस कार्मिक से जो बन पड़ा उसने वह योगदान किया। तिवारी सपरिवार समारोह में पहुंचे। पूरे अपनेपन के साथ सभी से मिले। उनका विदाई पत्र जब मंच से पढ़ा गया तो कई कार्मिक भावुक होते दिखे। ऐसी ही विदाई को ‘भावभीनी’ कहा जाता है। वास्तव में तिवारी जिंदादिल इंसान है। ‘जनता के अधिकारी’।
Discussion about this post