क्या है पूरा मामला?
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान, कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने राज्य के दर्जे की लड़ाई इसलिए नहीं लड़ी थी कि “पहाड़ी” और “देसी” के बीच विभाजन हो। इसी दौरान उनके मुंह से एक अशोभनीय शब्द निकल गया, जिससे प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई।
जनता में गुस्सा, जगह-जगह प्रदर्शन
मंत्री के बयान के बाद, उत्तराखंड में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। गैरसैंण में पहाड़ स्वाभिमान मंच के नेतृत्व में एक बड़ी रैली निकाली गई, जिसमें हजारों लोग सड़कों पर उतरे। प्रदर्शनकारियों में सामाजिक संगठनों के लोग, ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं और स्थानीय नागरिक शामिल थे। इस दौरान लोग “मैं हूं पहाड़ी” लिखी तख्तियां और टोपी पहने नजर आए।
भाजपा की प्रतिक्रिया
विवाद बढ़ने पर, भाजपा नेतृत्व ने प्रेमचंद अग्रवाल को तलब किया और सार्वजनिक जीवन में संयम बरतने की सख्त हिदायत दी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने बताया कि मंत्री ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए भविष्य में शब्दों के चयन में सावधानी बरतने का आश्वासन दिया।
आगे क्या होगा?
अग्रवाल के इस्तीफे के बाद, सरकार अब नए वित्त मंत्री की नियुक्ति पर विचार कर रही है। विपक्ष इस घटनाक्रम को सरकार की विफलता बता रहा है, जबकि भाजपा इसे आत्ममंथन और सुधार का अवसर मान रही है। अब प्रदेश की जनता उम्मीद कर रही है कि सरकार और जनप्रतिनिधि भविष्य में ऐसे विवादों से बचते हुए संवेदनशीलता और समझदारी से कार्य करेंगे।