धामी सरकार के तीन साल: देहरादून में शक्ति प्रदर्शन
23 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देहरादून के परेड ग्राउंड में एक विशाल समारोह आयोजित किया। इस कार्यक्रम में बीजेपी के कई बड़े नेता, कार्यकर्ता और आम जनता शामिल हुए। सरकार ने अपनी उपलब्धियां गिनाईं और विकास कार्यों का प्रचार किया। इस आयोजन को धामी सरकार की ताकत दिखाने और आगामी चुनावों की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
दिल्ली में त्रिवेंद्र का भोज: संयोग या सियासी संकेत?
ठीक उसी दिन, दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंडी भोज का आयोजन किया, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। इस भोज में कई प्रभावशाली चेहरे शामिल हुए, जिनमें सांसद अनिल बलूनी, NSA अजीत डोभाल, CDS जनरल अनिल चौहान, लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार और उत्तराखंड के कुछ IAS अधिकारी भी थे।
यह भोज केवल एक सामाजिक आयोजन था या इसके पीछे कोई राजनीतिक रणनीति? इस सवाल ने चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
भोज पर चर्चाओं का दौर: क्या कोई बड़ी रणनीति बन रही है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की अटकलों के बीच त्रिवेंद्र का यह आयोजन संकेतों से भरा था। त्रिवेंद्र सिंह रावत, जो लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूर नजर आ रहे थे, अचानक ऐसे आयोजन के केंद्र में क्यों आए? क्या यह कोई नई राजनीतिक योजना का हिस्सा है?
क्या संयोग मात्र था या नई खिचड़ी पक रही है?
भोज जैसे कार्यक्रम कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसे धामी सरकार के तीन साल पूरे होने के दिन आयोजित करना क्या महज संयोग था या इसके पीछे कोई गहरी सियासी रणनीति छिपी थी? यह सवाल अब सुर्खियों में है।
फिलहाल, उत्तराखंड की राजनीति में इस भोज ने नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है और कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में कोई बड़ा सियासी फेरबदल हो सकता है।
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