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ऋषिकेश के मेयर शंभू पासवान के जाति प्रमाण पत्र विवाद ने एक नया मोड़ लिया है। प्रशासन ने इस मामले की पूरी जांच की और रिपोर्ट अब तैयार है। ये मामला नगर निकाय चुनाव के बाद से ही चर्चा में बना हुआ था, और अब जांच रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका के बाद देहरादून जिलाधिकारी को शंभू पासवान के जाति प्रमाण पत्र की जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद यह मामला विशेष रूप से ऋषिकेश में सुर्खियों में आ गया था। जिलाधिकारी ने इस मामले की गंभीरता से जांच की और मेयर से जुड़े सभी पहलुओं की गहनता से समीक्षा की।
जांच में यह आरोप भी लगाया गया था कि शंभू पासवान ने किसी जमीन खरीद में जाति प्रमाण पत्र का सही तरीके से उपयोग नहीं किया था। हालांकि, जिलाधिकारी संविन बंसल ने यह साफ किया कि जांच रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश की जाएगी, जिसके बाद यह स्पष्ट हो पाएगा कि मेयर के प्रमाण पत्र में कोई गड़बड़ी है या नहीं।
शंभू पासवान पहले ही इन आरोपों को नकार चुके हैं और उन्होंने दावा किया है कि उनके प्रमाण पत्र पूरी तरह से सही हैं। अब इस जांच रिपोर्ट के आधार पर ही उनके राजनीतिक भविष्य का फैसला होगा। यदि रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो उन्हें अपनी कुर्सी से हाथ भी धोना पड़ सकता है। इस समय ऋषिकेश के लोग इस मामले के नतीजे का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, और राजनीतिक हलकों में भी इस मुद्दे पर काफी चर्चाएँ हो रही हैं।
पार्टी और मेयर खुद इस जांच से बाहर निकलने की उम्मीद लगाए हुए हैं, लेकिन अब यह देखने की बात होगी कि कोर्ट में रिपोर्ट का क्या निष्कर्ष निकलता है।