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हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज विधानसभा क्षेत्र से मनरेगा योजना में गंभीर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। यहां चिउणी पंचायत के डडौण गांव में दो साल पहले मृत हो चुकी एक महिला को मनरेगा मजदूर के रूप में दर्शाया गया है। महिला के नाम से न सिर्फ उपस्थिति दर्ज की गई, बल्कि 12 दिनों तक की दिहाड़ी ऑनलाइन प्रणाली में अपलोड कर दी गई।
मृत महिला की पहचान पूर्णू देवी पत्नी पूर्वू राम के रूप में हुई है, जिनका निधन 13 नवंबर 2023 को हृदय गति रुकने के कारण हो चुका था। हैरानी की बात यह है कि यह उपस्थिति 15 मार्च से 28 मार्च 2025 तक दर्ज की गई है। इस अवधि के लिए मस्टररोल नंबर 23956 जारी हुआ था, जिसमें कुल आठ मजदूरों के नाम दर्ज हैं।
पूर्णू देवी का नाम भी इस सूची में शामिल किया गया, और दावा किया गया कि उन्होंने पूरे 12 दिन कार्य किया। खास बात यह है कि यह उपस्थिति डिजिटल रूप से दर्ज की गई है, जिससे मनरेगा प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
मामले में मृत महिला की बहू और पंचायत वार्ड सदस्य सावित्री देवी का नाम भी सामने आया है, जिनके माध्यम से उपस्थिति दर्ज की गई। सावित्री देवी ने सफाई देते हुए कहा कि यह गलती ग्राम रोजगार सेवक (GRS) की है और उन्होंने खुद अपनी सास के बैंक खाते बंद करवा दिए थे।
ग्राम पंचायत चिउणी के सचिव धर्म चंद शर्मा ने पुष्टि की कि मृतका का निधन नवंबर 2023 में हुआ था, और यह मामला जांच का विषय है। जिला परियोजना अधिकारी (DPO) अचिंत डोगरा ने भी कहा कि इस मामले की गहन जांच की जाएगी और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि अभी तक इस फर्जीवाड़े की कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं हुई है, लेकिन स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर भारी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि अगर मनरेगा भुगतान पहले की तरह नियमित रूप से होता, तो मृत महिला के नाम पर पैसे भी निकाले जा चुके होते।
निष्कर्ष
यह मामला मनरेगा जैसी ग्रामीण विकास योजना की पारदर्शिता और निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में किस हद तक पारदर्शिता बरतता है और दोषियों के खिलाफ क्या सख्त कदम उठाए जाते हैं।