Helicopter Emergency Landing in Kedarnath Area: All Passengers Safe
केदारनाथ क्षेत्र में शनिवार को एक बड़ा हादसा टल गया, जब क्रिस्टल एविएशन कंपनी के हेलीकॉप्टर को अचानक तकनीकी खराबी के कारण सिरसी-बडासू इलाके की सड़क पर इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। इस अप्रत्याशित इमरजेंसी लैंडिंग के वक्त सड़क पर कोई वाहन मौजूद नहीं था, जिससे बड़ी दुर्घटना होने से बच गई।
हालांकि, हेलीकॉप्टर के टेल रोटर का एक वाहन से साइड में टकराव हुआ, लेकिन यात्रियों की जान बच गई। हेलीकॉप्टर में कुल 5 यात्री सवार थे जो सुरक्षित हैं। इस घटना की सूचना तुरंत डीजीसीए (Directorate General of Civil Aviation) को दे दी गई है।
Past Incidents Raise Serious Safety Questions in Uttarakhand Aviation
यह पहला मौका नहीं है जब केस्ट्रल एविएशन कंपनी को इस क्षेत्र में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी हो। पिछले साल मई 2024 में भी इसी कंपनी के एक हेलीकॉप्टर को उड़ान भरते समय अचानक नियंत्रण खोना पड़ा था, लेकिन पायलट की कुशलता से दुर्घटना टली थी। उस हादसे में भी हेलीकॉप्टर का पिछला हिस्सा जमीन से टकराया था।
इसी वर्ष 8 मई को उत्तरकाशी में एक हेलीकॉप्टर क्रैश में पायलट समेत 6 यात्रियों की मौत हो चुकी है। इससे स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर सेवा की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिन्ता बनी हुई है।
Historical Helicopter Crashes in Kedarnath and Uttarakhand Region
उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं की लंबी सूची रही है:
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अप्रैल 2023 में केस्ट्रल एविएशन के हेलीकॉप्टर के टेल रोटर ब्लेड टूटने से यूकाडा के एक अधिकारी की मृत्यु।
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अक्टूबर 2022 में केदारघाटी में गुजरात और तमिलनाडु के तीर्थ यात्रियों को ले जा रहा हेलीकॉप्टर क्रैश, जिसमें 7 यात्रियों की मौत।
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वर्ष 2013 के केदारनाथ आपदा के दौरान सेना और आईटीबीपी के 20 जवान एमआई-17 हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद।
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जंगलचट्टी क्षेत्र में भी कई बार हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें पायलट और को-पायलट की मौत हुई।
कुल मिलाकर, 2010 से लेकर अब तक केदारनाथ क्षेत्र में कम से कम 7 बड़े हेलीकॉप्टर क्रैश की घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें अनेक यात्री और सुरक्षा कर्मी शहीद हुए हैं।
Need for Strengthened Aviation Safety Measures in Uttarakhand
उत्तराखंड के तीर्थस्थलों की जटिल भौगोलिक स्थिति और मौसम की अनिश्चितता के कारण हेलीकॉप्टर सेवा यात्रियों के लिए आसान लेकिन जोखिम भरा माध्यम है। लगातार बढ़ती दुर्घटनाओं ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सतर्कता बढ़ा दी है। जल्द से जल्द सुरक्षा मानकों को और कड़ाई से लागू करना आवश्यक हो गया है ताकि तीर्थयात्रियों और अधिकारियों की जान को बचाया जा सके।