जिम ट्रेनर वसीम उर्फ मोनू की तालाब में डूबकर हुई संदिग्ध मौत के करीब एक साल बाद अब इस मामले में बड़ा मोड़ आया है। हरिद्वार के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने उत्तराखंड पुलिस की गौ संरक्षण स्क्वायड टीम के तीन नामजद और तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश जारी किया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिए हैं कि मामले की जांच एक CO रैंक के अधिकारी से निष्पक्ष रूप से कराई जाए।
क्या है पूरा मामला?
25 अगस्त 2024 को रुड़की के माधोपुर गांव में तालाब से सोहलपुर गाड़ा निवासी वसीम उर्फ मोनू का शव बरामद हुआ था। पुलिस का दावा था कि वसीम प्रतिबंधित मांस की तस्करी में लिप्त था और पकड़े जाने के डर से तालाब में कूद गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
लेकिन परिजनों ने इस कहानी को सिरे से खारिज कर दिया था। उनका आरोप था कि गौ संरक्षण स्क्वायड टीम ने वसीम की सुनियोजित हत्या की है। इस मामले ने राज्य ही नहीं, बल्कि देशभर में खासा राजनीतिक माहौल गर्म कर दिया था।
एक साल तक पुलिस ने नहीं की कार्रवाई
घटना के बाद कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने धरना-प्रदर्शन कर पुलिस पर केस दर्ज करने की मांग की थी। लेकिन एक साल बीतने के बाद भी पुलिस ने इस मामले में कोई FIR दर्ज नहीं की थी।
इसके बाद वसीम के चचेरे भाई ने वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जाद अहमद के माध्यम से कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया। कोर्ट ने वसीम के परिजनों की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए उप निरीक्षक शरद सिंह, कांस्टेबल सुनील सैनी, कांस्टेबल प्रवीण सैनी और तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया।
गंगनहर कोतवाली को 24 घंटे में केस दर्ज करने के आदेश
कोर्ट ने गंगनहर कोतवाली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह 24 घंटे के भीतर सभी आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करे। इसके साथ ही एसएसपी हरिद्वार को आदेश दिया गया है कि वह मामले की जांच किसी CO रैंक के अधिकारी से कराएं, ताकि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो।
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