— उत्तराखंड के पौड़ी जिले से एक चौंकाने वाला सफाई घोटाला सामने आया है। जिला पंचायत में साफ-सफाई कार्यों के नाम पर 75 लाख रुपये की सरकारी धनराशि एक उपनल कर्मचारी की पत्नी के खाते में स्थानांतरित की गई है। यह पूरा मामला जनवरी 2023 से सितंबर 2023 के बीच हुआ, जिसकी पुष्टि हाल ही में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी से हुई है।
गोपनीय तरीके से निकाले गए टेंडर, निलंबित हुआ वरिष्ठ अधिकारी
जिला पंचायत के सभी 15 विकासखंडों में बिना सार्वजनिक जानकारी के गोपनीय रूप से सफाई कार्यों के लिए टेंडर जारी किए गए। आरोप है कि एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी की भूमिका इस पूरे खेल में सामने आई है, जो फिलहाल निलंबन की स्थिति में हैं।
बताया गया कि अधिकारी ने उपनल कर्मी की पत्नी के नाम से खाता खुलवाकर उसी के माध्यम से सफाई कार्यों का टेंडर पास करा दिया। खास बात यह है कि महिला या उसके परिवार को ना टेंडर की जानकारी थी और ना ही किसी वैधानिक दस्तावेज जैसे जीएसटी, पंजीकरण आदि।
करन रावत की RTI से खुला मामला, जांच की सिफारिश
स्थानीय RTI कार्यकर्ता करन रावत ने जून 2025 के पहले सप्ताह में आरटीआई के तहत जवाब प्राप्त किया, जिसमें सामने आया कि एक ही परिवार के तीन सदस्यों के नाम पर जिले के विभिन्न ब्लॉकों में सफाई के ठेके स्वीकृत किए गए। जबकि उनके पास ना कोई पूर्व अनुभव था और ना ही किसी तरह की कानूनी पात्रता।
करन रावत ने इस मामले की शिकायत गढ़वाल आयुक्त से की, जिसके बाद पत्रावली पौड़ी जिलाधिकारी कार्यालय को भेजी गई। उन्होंने मांग की है कि इस घोटाले की विजिलेंस जांच हो और दोषियों पर एफआईआर दर्ज हो।
ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा, कर्मचारियों को मिली मोटी रकम
2024-25 की ऑडिट रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि हर ब्लॉक में औसतन दो सफाई कर्मचारी नियुक्त दिखाए गए, जिन्हें ₹15,000 मासिक और VIP ड्यूटी व दुर्गम क्षेत्रों में तैनात 10 कर्मचारियों को ₹30,000 तक मासिक भुगतान किया गया। लेकिन धरातल पर ना ऐसे कर्मचारी मिले और ना ही कार्य।
डीएम स्वाति भदौरिया का बयान
इस पूरे प्रकरण पर पौड़ी की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने कहा है:
“मामले की जांच जारी है। गढ़वाल कमिश्नर से पत्रावली मिली है, संबंधित दस्तावेजों का अध्ययन किया जा रहा है। रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।”
देहरादून नगर निगम में भी हो चुका है ऐसा ही घोटाला
गौरतलब है कि इसी तरह का सफाई घोटाला देहरादून नगर निगम में भी उजागर हुआ था, जहां 2019 से 2023 तक 99 फर्जी सफाई कर्मियों के नाम पर करोड़ों रुपये वेतन और PF के रूप में निकाले गए। उस प्रकरण में भी पार्षदों और उनके रिश्तेदारों की मिलीभगत उजागर हुई थी।
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