विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला “खतरनाक संकेत” है और इससे “CBI जांच को प्रभावित करने की संभावनाएं” भी बढ़ सकती हैं।
संवेदनशील नियुक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट को देना पड़ा है दखल
बीते वर्ष भी एक विवादित पोस्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा था, जब राहुल को राजाजी टाइगर रिज़र्व का निदेशक बना दिया गया था।
क्योंकि कॉर्बेट में उनके कार्यकाल से जुड़े मामलों की जांच CBI द्वारा की जा रही थी, इसलिए अदालत ने इस नियुक्ति पर रोक लगा दी थी।
2015 का कांड: हाईकोर्ट ने CBI जांच की दी थी मंजूरी
2015 में कॉर्बेट में हुए बाघ शिकार, खालों की तस्करी और संभावित अंतरराष्ट्रीय गिरोह के खुलासे ने पूरे देश को हिला दिया था।
NTCA और WII रिपोर्ट में वन अधिकारियों की संभावित मिलीभगत और गंभीर लापरवाही के संकेत मिले थे।
इन्हीं आधारों पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 2018 में CBI जांच की अनुमति दी थी।
लेकिन आदेश जारी होते ही तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डी.एस. खाती सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और एक तकनीकी त्रुटि का हवाला देकर जांच पर स्टे ले आए।
महत्वपूर्ण बात—घटनाक्रम के समय खाती ही मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक थे।
और तब से लेकर आज तक, CBI जांच सात वर्षों से ठप है।
CBI ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकारे गंभीर आरोप
अक्टूबर 2020 में दायर अपने काउंटर एफिडेविट में CBI ने कई गंभीर बिंदु दर्ज किए—
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शुरुआती जांच वन अधिकारियों और शिकारियों की सीधी मिलीभगत की ओर संकेत करती है।
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NTCA दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया।
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कुछ अधिकारियों द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ (tampering of evidence) की आशंका की पुष्टि के लिए आगे जांच जरूरी है।
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2023 में CBI ने स्टे हटाने की दोबारा मांग की और चेताया कि देरी से पूरे केस के कमजोर पड़ने का खतरा है।
इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट में अब तक सुनवाई लंबित है।
CBI जांच सिर्फ 26 दिन चली—फिर रोक
हाईकोर्ट के आदेश के बाद CBI ने
26 सितंबर से 22 अक्टूबर 2018 तक जांच की शुरुआत की थी।
लेकिन खाती की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर रोक लगा दी और तब से—
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न आगे पूछताछ
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न सबूतों की जांच
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न किसी अधिकारी की भूमिका की पुष्टि
पूरा मामला थम गया।
संरक्षण व्यवस्था पर गहरा प्रश्नचिह्न
कॉर्बेट जैसे विश्व-प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व में—
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बाघों का शिकार
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राजनीतिक/प्रशासनिक दबाव
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अधिकारियों की कथित मिलीभगत
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और संवेदनशील पदों पर विवादित नियुक्तियाँ
भारत की वन्यजीव संरक्षण प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।












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