बेटियां 4 घंटे तक एंबुलेंस पर अपने पिता के शव को लेकर घर के दरवाजे पर खड़ी रहीं, लेकिन उनके दादा और चाचा ने उन्हें घर के अंदर घुसने नहीं दिया। दादा और चाचा ने बहनों का रास्ता घर के सामने ट्रैक्टर लगाकर रोक दिया। नतीजा यह रहा कि दोनों बहनें अपने पिता की लाश अपने घर में नहीं ला सकीं।
मानवता को शर्मसार करने वाली एक बड़ी घटना घटी है। यहां दो बेटियां 4 घंटे तक एंबुलेंस पर अपने पिता के शव को लेकर घर के दरवाजे पर खड़ी रहीं, लेकिन उनके दादा और चाचा ने उन्हें घर में घुसने नहीं दिया। उन्होंने इन दोनों बहनों का रास्ता घर के सामने ट्रैक्टर लगाकर रोक दिया। नतीजा यह रहा कि दोनों बहनें अपने पिता की लाश अपने घर में नहीं ला सकीं। इतना ही नहीं, दोनों बहनों के दादा और चाचा ने उनके पिता से किसी भी तरह का रिश्ते होने से इनकार कर दिया। डीएम, एसपी, मुफस्सिल थाना और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से इन बहनों के पिता का दाह संस्कार किया गया।
यह मामला पूर्णिया के मुफस्सिल थाना के दीवानगंज के वॉर्ड नंबर 6 का है। यहां रहने वाले नवीन मंडल की मौत शनिवार को अस्पताल में हृदय गति रुकने से हो गई थी। उसके बाद उनकी दो बेटियां सोनी और मोनी एंबुलेंस से अपने पिता का शव लेकर घर पहुंचीं. लेकिन दोनों बच्चियों के दादा और चाचा ने शव को घर में लाने नहीं दिया. तब सैकड़ों ग्रामीणों के साथ डिमिया छतर जान के मुखिया अंगद मंडल भी मौके पर पहुंचे और मृतक के पिता और भाई को काफी समझाया. लेकिन वे लोग नहीं माने। तब लोगों ने फोन कर इसकी सूचना डीएम और एसपी को दी। इसके बाद मुफस्सिल थाने के पुलिस मौके पर पहुंची और मृतक के पिता राम प्रसाद मंडल और भाई संतोष मंडल को थाने लेकर आई. काफी जद्दोजहद के बाद शाम में नवीन मंडल के शव का अंतिम संस्कार किया गया।
मुखिया अंगद मंडल ने कहा कि 25 साल पहले नवीन मंडल ने अपनी मामी से शादी कर ली थी, जिसके बाद से उनके परिजन काफी आक्रोशित थे। परिजनों ने उनसे रिश्ता तोड़ लिया था. उसके बाद से वे पंचायत भवन में ही अपनी दोनों बेटियों और परिवार के साथ रहते थे। 2 साल पहले उनकी पत्नी की मौत हो गई थी और कल नवीन मंडल की भी मौत हो गई. इसके बाद उनके पिता और भाई ने शव लेने से इनकार कर दिया।