पूर्व सीएम हरीश रावत (Harish rawat) ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि हरिद्वार से 50-60 किलोमीटर की दूरी पर कोई न कोई तीर्थ स्थल है। तो सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि
जो बाहर से यात्रीगण आ रहे हैं और यदि केदारधाम, बद्रीधाम, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में संख्या ज्यादा हो रही है तो कुछ लोगों को सरकारी खर्चे पर मार्ग में ठहरा कर, वहां के निकटस्थ तीर्थ स्थल के दर्शन करवाने चाहिये और उसका खर्चा सरकार स्वयं वहन करें।
मेडिकल सुविधाओं के साथ खान-पान की सुविधाओं पर भी नजर रखनी पड़ेगी।
रावत ने कहा कि मुझे कुछ लोगों ने फोन करके बताया कि 150-160 रुपये का एक पराठा चार्ज हो रहा है, कुछ लोग दे सकते हैं और कुछ लोग ऐसे भी तो हैं जो आस्था के कारण अपनी छोटी-मोटी बचतों के आधार पर हमारे तीर्थ स्थानों पर आ रहे हैं। हमारे तीर्थ स्थलों की प्रति उनकी मान्यता है, तो हमें इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि उन सब लोगों को खाने-पीने, रहने की सुविधा उचित मूल्य पर मिल जाए। दवा और SDRF की सुविधा तो हर 100 यात्रियों के बीच में हमें एक हेल्प डेस्क बनाना चाहिए, जहां पर यात्री को हर तरीके की सुविधा और मार्गदर्शन मिल सके। यह अब केवल सरकार की चुनौती नहीं रह गई है।
मैं, राज्य के लोगों से अपील करूंगा कि हम सबकी सामूहिक चुनौती है। यदि हम कुछ कह रहे हैं तो हमारे कहे को राज्य सरकार की आलोचना न समझा जाए। बल्कि कुछ बातें जो हम लोगों तक आ रही हैं, उसको हम राज्य सरकार तक पहुंचा कर उनके काम में हाथ बंटाने के भाव से इसको ले रहे हैं।
Discussion about this post