इंजीनियर अयाज अहमद को लोक निर्माण विभाग का मुखिया बनाए जाने के मामले में जल्दी ही आपराधिक मुकदमा दर्ज हो सकता है। इसमें शासन स्तर पर आपराधिक षड्यंत्र का मामला सामने आ रहा है।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को अंधेरे में रखकर उनके बिना अनुमोदन के लोक निर्माण विभाग में अयाज अहमद को प्रमुख अभियंता बना दिया गया गया। जबकि सतपाल महाराज ने 7 जनवरी को ही अयाज अहमद के खिलाफ यौन उत्पीड़न के एक मामले में जांच कराने के आदेश जारी किए थे।
दरअसल महाराज के बिना जानकारी के ही उनके डिजिटल सिग्नेचर से अयाज अहमद को पीडब्ल्यूडी का मुखिया बनाने की फाइल मुख्यमंत्री को भेज दी गई थी। महाराज को पता चला तो वह काफी नाराज हो गए।
इससे नाराज लोक निर्माण विभाग मंत्री सतपाल महाराज ने जांच के आदेश दे दिए। इसके अलावा सतपाल महाराज ने एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री को भी एक पत्र लिखते हुए इसमें शासन के उच्च अधिकारियों की व्यक्तिगत मिलीभगत बताते हुए इस प्रमोशन को कैंसिल करने की मांग की है। इसकी कॉपी मुख्य सचिव को भी दी गई है।
सूत्रों के अनुसार सचिवालय प्रशासन की जांच के बाद सचिवालय प्रशासन इस मामले में मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति कर सकता है।
सचिवालय प्रशासन के अपर सचिव प्रताप शाह इस प्रकरण की जांच कर रहे हैं। अपर सचिव प्रताप शाह ने बताया कि अभी तक इस मामले में निजी सचिव इंद्र प्रताप सिंह, दर्शन सिंह और मुख्यमंत्री के ओएसडी अभिषेक शर्मा के बयान हो चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार पहले कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज इस मामले में सीधे एफ आई आर दर्ज कराने जा रहे थे, लेकिन शासन में अधिकारियों ने इस बात पर जोर डाला कि पहले शासन स्तर पर इसकी जांच करा ली जानी चाहिए और फिर सचिवालय प्रशासन के अपर सचिव प्रताप शाह को लगभग 15 दिन पहले इसकी जांच सौंपी गई थी।
*साइबर का मामला और शासन की जांच*
अहम सवाल यह है कि डिजिटल सिग्नेचर से जुड़ा हुआ मामला होने के चलते यह मामला साइबर क्राइम और फॉरेंसिक जांच से जुड़ा हुआ है और इस मामले में निजी सचिव इंद्र प्रताप सिंह और दर्शन सिंह ने हालांकि अपनी किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया है। सूत्रों के अनुसार अयाज अहमद को शासन मे भी उच्चाधिकारियों का वरदहस्त प्राप्त है और उच्चाधिकारियों ने व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए अयाज अहमद को मुखिया बनाया है।
*महाराज बेहद खफा*
महाराज इससे बेहद नाराज हैं। बहरहाल जांच अधिकारी तथा अपर सचिव प्रताप शाह के बयान हो चुके हैं लेकिन अभी जांच लिखी नहीं है जल्दी ही जांच रिपोर्ट सबमिट कर दी जाएगी। उसके बाद ही आगे की कार्यवाही होगी।
*सबसे बड़ा पेंच*
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा पेंच यह है कि हालांकि मुख्यमंत्री को यह अधिकार है कि वह बिना विभागीय मंत्री के अनुमोदन के ही वह किसी अधिकारी को प्रमोशन दे सकते हैं लेकिन सबसे बड़ा पेंच यह है कि इस मामले में विभागीय मंत्री सतपाल महाराज का अनुमोदन डिजिटल सिग्नेचर से फर्जी तरीके से दिया गया है। इसलिए जो भी व्यक्ति इस प्रमोशन का समर्थन करेगा, वह भी इस अपराध मे भागीदार माना जाएगा, इसलिए यह तय माना जा रहा है कि इस जांच के बाद मुकदमा दर्ज होगा और अयाज अहमद के प्रमोशन पर तलवार लटक सकती है।
*यौन उत्पीड़न के आरोपी हैं अयाज अहमद*
अयाज अहमद के खिलाफ उनके ही विभाग की एक कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इसकी जांच लोक निर्माण विभाग के कनिष्ठ अफसरों ने की है और इस जांच में सुप्रीम कोर्ट की विशाखा गाइडलाइन का भी अनुपालन नहीं हुआ है।
पीड़िता ने सतपाल महाराज से दोबारा जांच कराने की मांग की है और महाराज ने फिर से जांच बिठाने के निर्देश दिए हुए हैं। यह जांच भी ठंडे बस्ते में है।