बर्खास्त कर्मचारियों के लिए निकालें बीच का रास्ता-जोशी
सीएमआई में भर्ती बर्खास्त कार्मिक दीप्ति पांडे से मिले दीपक जोशी
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारी दीप्ति पांडे का हाल-चाल जानने के लिए शुक्रवार देर शाम उत्तराखंड सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी सीएमआई हास्पिटल पहुंचे। उन्होंने बर्खास्त कर्मचारी दीप्ति पांडे के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना की तथा आश्वासन दिया कि वे मजबूती से उनके साथ खड़े हैं।
बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त कार्मिकों का धरना डेढ़ माह से विधानसभा के बाहर लगातार जारी है। कड़ाके की ठंड में महिला कार्मिक अपने बच्चों के साथ धरना दे रही हैं, जिसके चलते अभी तक कई महिला कार्मिकों का धरना स्थल पर ही स्वास्थ्य खराब हो चुका है। पिछले दिनों महिला कार्मिक दीप्ति पांडे का धरना स्थल पर स्वास्थ्य खराब हो गया और वह वहीं पर बेहोश हो गईं थी।
तब से उनका सीएमआई अस्पताल में इलाज चल रहा है। शुक्रवार को उत्तराखंड सचिवालय संघ के अध्यक्ष तथा उत्तराखंड अधिकारी-कार्मिक-शिक्षक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी ने सीएमआई अस्पताल पहुंचकर दीप्ति पांडे का हाल जाना। उन्होंने चिकित्सकों से बातचीत कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। दीप्ति पांडे का उपचार कर रहे डाक्टरों ने कहा कि अत्यधिक स्टेªस के कारण उनका बीपी लगातार घट-बढ़ रहा है, जिस कारण उन्हें फिट आ रहे हैं।
इस दौरान दीपक जोशी भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि वे भी कर्मचारी हैं और बर्खास्त कर्मचारियों के दुख-दर्द को वे अच्छी तरह से समझ सकते हैं। एक कर्मचारी नेता होने के नाते वे उनसे मिलने आए हैं, क्योंकि सभी इसी प्रदेश के निवासी हैं, हमारे कर्मचारी साथी हैं। कर्मचारियों ने बताया कि महिला कार्मिक के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं तथा परिवार में सिंगल अर्निंग मेंबर हैं। उन्हीं के वेतन से घर का पूरा खर्च चलता था।
उन्होंने कहा कि वे समझ सकते हैं कि नौकरी से हटाए जाने के बाद उन्हें बच्चों के लालन-पालन तथा घर का खर्च चालने में किस तरह की दिक्कतें आ रही होंगी। बच्चों की स्कूल की फीस, माता-पिता के देखरेख किस तरह कर रहे होंगे, यह सोचकर ही उन्हें तकलीफ हो रही है। बैंक के लोन की किस्तें हैं। किराए के घरों में कर्मचारी रह रहे हैं। दीपक जोशी ने कहा कि उन्हें कर्मचारियों की हालत देखकर बहुत ही कष्ट हो रहा है। उन्होंने कहा कि माननीय विधानसभा अध्यक्ष जी तथा माननीय मुख्यमंत्री जी को इस संबंध में कोई मध्य मार्ग निकालकर इन कर्मचारियों के जीविकोपार्जन के बारे में सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसमें कर्मचारियों का कोई दोष नहीं है। यह विधानसभा की एक प्रक्रियात्मक त्रुटि है। इस त्रुटि का खामियाजा आज ये कर्मचारी भुगत रहे हैं। राज्य बनने के बाद से ही विधानसभा में एक जैसी ही प्रक्रिया रही है। उसमें भविष्य के लिए सुधार किया जाना चाहिए, इस बारे में पहल की जानी चाहिए, लेकिन जो सात-सात साल से कार्य कर रहे थे, उन्हें मझदार में नहीं छोड़ा जाना चाहिए। इन कर्मचारियों के बच्चों के भविष्य के बारे में सभी को सोचना चाहिए। उनकी शिक्षा की व्यवस्था कैसे होगी, इस बारे में सोचना चाहिए। क्योंकि कई कर्मचारी ओवरऐज हो गए हैं। विधवा और विकलांग कर्मचारियों के बारे में भी हमें सोचना होगा। आखिर सभी इसी प्रदेश के निवासी हैं। हमारे भाई-बहन हैं। यह बहुत ही संवेदनशील तथा भावनात्मक विषय है। इसका समाधान भी उसी अनुरूप निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष स्वयं एक मां हैं और विधायिका की प्रमुख भी हैं। वे समझ सकती हैं कि ये कर्मचारी किस तकलीफ से गुजर रहे हैं। उन्हें एक मां के नजरिये से इनके बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष जी हमारी मातृ शक्ति हैं और उन्हें अपने बच्चों का संरक्षण कर उनका भविष्य सुरक्षित करना चाहिए।
इस बीच जैसे ही कर्मचारियों को पता चला कि सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी सीएमआई में आए हैं तो रात को ही बड़ी संख्या में कर्मचारी उनके मिलने के लिए अस्पताल पहुंच गए। कई कर्मचारी उनसे बात करते-करते भावुक हो गए। बर्खास्त कर्मचारियों ने दीपक जोशी को बताया कि आज कई कर्मचारी ओवरऐज हो गए हैं। उम्र के इस पड़ाव में उन्हें रोजगार कहां मिलेगा। महिला तथा विधवा कर्मचारियों के सम्मुख रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कई विकलांग कर्मचारी सड़क पर आ गए हैं। बच्चों की स्कूल तथा काॅलेज की फीस देने में कर्मचारी लाचार हैं। अधिसंख्य कर्मचारी किराए के घरों में रह रहे हैं और नौकरी छिन जाने से वे किराए का भुगतान करने में भी असमर्थ हो गए हैं। रिश्तेदारों से कर्ज लेकर वे किसी तरह अपना खर्चा चला रहे हैं और कोर्ट में केस लड़ने के लिए अब जेवर बेचने तक की नौबत आ गई है।
कर्मचारियों ने जोशी को बताया कि उत्तराखंड विधानसभा की नियमावली में तदर्थ कार्मिकों के नियमितीकरण का प्रावधान है। जिसके तहत वर्ष 2013, वर्ष 2014 तथा वर्ष 2016 में किसी का दो साल की सेवा के बाद, किसी का तीन साल की सेवा, किसी का चार, किसी का पांच तथा किसी का छह साल की सेवा के बाद नियमितीकरण किया गया, लेकिन उनकी सात साल की सेवाओं को लगातार नजरअंदाज किया जाता रहा है। कर्मचारियों ने बताया कि 2016 में नियुक्त कार्मिकों की नियुक्ति को माननीय उच्च न्यायालय तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही वैध ठहराया जा चुका है।
उन्होंने दीपक जोशी से मांग की कि वे उनकी समस्याओं को माननीय मुख्यमंत्री तथा माननीय विधानसभा अध्यक्ष जी तक पहुंचाने में सहयोग करें। दीपक जोशी ने धैर्य से कर्मचारियों की बातों को सुना और आश्वासन दिया कि जल्द ही वे इस संबंध में माननीय विधानसभा अध्यक्ष तथा माननीय मुख्यमंत्री जी से वार्ता भी करेंगे। इस दौरान बर्खास्त कार्मिक भगवती, बबीता भंडारी, अनिल नैनवाल, मोनिक सेमवाल, रश्मि सेमवाल, हेमंत जोशी, शिवचरण डबराल आदि उपस्थित थे।