देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय (SGRRU) के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा दिव्य करूणा संगठन के सहयोग से “बदलती दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण: स्वयं, प्रकृति, चेतना और वैश्विक चुनौतियों का एकीकरण” विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना, शोध को प्रोत्साहित करना और वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के समाधान तलाशना रहा।
यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के पथरीबाग स्थित सभागार में संपन्न हुआ, जिसमें देश-विदेश से सैकड़ों प्रतिभागियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से सक्रिय सहभागिता की।
दीप प्रज्वलन के साथ हुआ शुभारंभ
सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रथपन के पिल्लई, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. (डॉ.) मालविका कांडपाल, मानविकी संकाय की डीन प्रो. (डॉ.) प्रीति तिवारी, स्वामी डॉ. परमार्थ देव, डॉ. सुरेंद्र कुमार ढलवाल और डॉ. संतोष विश्वकर्मा ने संयुक्त रूप से किया।
विश्वविद्यालय के माननीय प्रेसीडेंट श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने अपने शुभ संदेश में कहा कि —
“मानसिक स्वास्थ्य आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है और इस दिशा में ऐसे सम्मेलन समाज के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे।”
मानसिक स्वास्थ्य पर विशेषज्ञों ने साझा किए विचार
मुख्य वक्ता स्वामी डॉ. परमार्थ देव, मुख्य केंद्रीय समन्वयक, भारत स्वाभिमान न्यास, पतंजलि योगपीठ ने कहा कि —
“आत्म, प्रकृति और चेतना के संतुलन से ही सच्चा मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है।”
उन्होंने छात्रों को अनुशासित जीवन और भारतीय ज्ञान प्रणाली को अपनाने की प्रेरणा दी।
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डॉ. सुरेंद्र कुमार ढलवाल (राष्ट्रीय दृष्टिबाधित व्यक्ति सशक्तिकरण संस्थान, देहरादून) ने आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से मानसिक स्वास्थ्य पर विचार रखते हुए कहा कि योग और आयुर्वेद मानसिक संतुलन के वैज्ञानिक साधन हैं।
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डॉ. संतोष विश्वकर्मा ने आत्म-अनुशासन और ध्यान की महत्ता पर प्रकाश डाला।
छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर हुआ गंभीर मंथन
डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. (डॉ.) मालविका कांडपाल ने छात्रों में बढ़ते तनाव और असंतुलित व्यवहार पर चिंता व्यक्त की और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर निरंतर संवाद की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं मानविकी संकाय की डीन प्रो. (डॉ.) प्रीति तिवारी ने कहा कि —
“आज का युवा वर्ग मानसिक दृढ़ता और सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकता है।”
अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने साझा किए वैश्विक अनुभव
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डॉ. बैरी राथनर (पोलैंड) — मानसिक स्वास्थ्य के वैश्विक आयामों पर विचार साझा किए।
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बिरुंगी बीट्रिस (युगांडा) — अफ्रीकी समाज में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की भूमिका पर प्रकाश डाला।
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डॉ. प्रमिला थापा (नेपाल) — दक्षिण एशियाई देशों में मानसिक स्वास्थ्य नीति और जन-जागरूकता पर विचार रखे।
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प्रो. मेट (अमेरिका) — सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक बुद्धिमत्ता पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
सम्मेलन में पुस्तक का लोकार्पण और सम्मान समारोह
कार्यक्रम के दौरान ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन वैदिक साइकोलॉजी – कॉन्फ्रेंस प्रोसीडिंग्स एंड ग्लिम्पसेज’ नामक पुस्तक का लोकार्पण किया गया। समापन सत्र में उत्कृष्ट प्रस्तुतिकर्ताओं को सम्मानित किया गया —
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प्रथम स्थान: रूही जैन (श्री राम हिमालय यूनिवर्सिटी)
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द्वितीय स्थान: सूर्य प्रकाश (पतंजलि यूनिवर्सिटी)
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तृतीय स्थान: आशीष ध्यानी (आईएमएस यूनिवर्सिटी यूनिसन)
सफल आयोजन में कई लोगों का योगदान
सम्मेलन में समन्वयक एस. चंदेल और सह-संयोजक डॉ. गरिमा सिंह ने अहम भूमिका निभाई। कार्यक्रम में सभी संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक और सैकड़ों विद्यार्थी उपस्थित रहे।
यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति जागरूकता को नई दिशा देने वाला ऐतिहासिक आयोजन साबित हुआ।












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