देहरादून। जिला प्रशासन देहरादून ने एक बार फिर त्वरित कार्रवाई कर असहाय परिवार को राहत दी है। दिवंगत मनोज रावत की पत्नी शोभा रावत, जो अपने दो बच्चों—एक बेटी और शत-प्रतिशत दिव्यांग पुत्र—की परवरिश कर रही हैं, पर 17 लाख रुपये के बीमित ऋण का बोझ था। बैंक द्वारा लगातार प्रताड़ना से व्यथित इस परिवार को आखिरकार जिलाधिकारी सविन बंसल के हस्तक्षेप से न्याय मिला।
दिवंगत मनोज रावत का 17 लाख का ऋण
शोभा रावत के पति मनोज रावत ने आईसीआईसीआई बैंक से कुल 17 लाख रुपये का ऋण लिया था। 30 अक्टूबर 2024 को मनोज रावत की आकस्मिक मृत्यु हो गई। बैंक द्वारा ऋण बीमा की राशि 13,20,662 रुपये लोन में समायोजित की गई, लेकिन शेष 5 लाख रुपये की वसूली को लेकर बैंक परिवार पर दबाव बना रहा था।
डीएम के हस्तक्षेप से मिला न्याय
विगत सप्ताह शोभा रावत ने अपने परिवार सहित जिलाधिकारी कार्यालय पहुँचकर व्यथा सुनाई। डीएम सविन बंसल ने तत्काल एसडीएम न्याय कुमकुम जोशी को कार्रवाई के निर्देश दिए।
पिछले 10 दिनों से एसडीएम लगातार मामले की फॉलोअप करती रहीं। डीएम ने बैंक को स्पष्ट चेतावनी दी थी कि यदि सोमवार तक नो ड्यूज जारी नहीं हुआ तो बैंक शाखा की संपत्ति कुर्क कर नीलामी की जाएगी।
बैंक ने घर जाकर लौटाए कागजात
प्रशासन की सख्ती का असर दिखा और आईसीआईसीआई बैंक ने घर जाकर शोभा रावत को नो ड्यूज प्रमाणपत्र प्रदान किया। साथ ही घर की संपत्ति के कागजात भी वापस लौटा दिए।
असहाय विधवा के लिए बड़ी राहत
24 वर्षीय शत-प्रतिशत दिव्यांग पुत्र और पढ़ाई कर रही बेटी की जिम्मेदारी उठाने वाली शोभा रावत के जीवन में यह बड़ी राहत साबित हुई। जिला प्रशासन की इस पहल से उनका शेष 5 लाख रुपये का ऋण माफ हुआ और भविष्य की चिंताओं से उन्हें मुक्ति मिली।
जनमानस में बढ़ा विश्वास
जिला प्रशासन की इस कार्रवाई ने जनता का विश्वास और गहरा किया है। डीएम के त्वरित निर्णयों से शिक्षा, रोजगार, ऋणमाफी और संपत्ति वापसी जैसे मामलों में लगातार राहत मिल रही है।
जनता का कहना है कि—
“समस्या हो कितनी भी विकट, जिला प्रशासन है न।”
यह मामला प्रशासनिक सख्ती और संवेदनशीलता का बेहतरीन उदाहरण है, जिससे जरूरतमंद परिवारों को नई उम्मीद और न्याय मिल रहा है।
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