उत्तराखंड में आए दिन फर्जीवाड़े के मामले सामने आते ही रहते हैं और इस तरह के फर्जीवड़े में कहीं ना कहीं शासन में बैठे हुए आला दर्जे के अधिकारियों की अहम भूमिका नजर आती है।
उत्तराखंड के दो वरिष्ठ आईएएस और एक आईपीएस अफसर के सगे-संबंधियों पर जमीन खरीद फरोख्त में फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज हुआ है।
इन तीनों वरिष्ठ अफसरों में से एक अफसर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिवालय में तैनात है।
तीनों ही अफसर समय समय पर हरिद्वार जिले में डीएम और कप्तान के रूप में तैनात रहे हैं।
उत्तराखंड के इन दो आईएएस और एक आईपीएस के परिजनों-रिश्तेदारों पर भूमाफ़िया के साथ साँठ-गाँठ कर फर्जीवाड़े, फर्जी काग़ज़ात के सहारे अनुसूचित जाति के लिए आवंटित जमीन कब्जाने और किसानों को फर्जी मुक़दमें लगाकर फंसाने जैसे संगीन आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई है। भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं 420, 467, 468, 471 और 506 के तहत कुल नौ आरोपियों के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज की गई है।
जमीनी खरीद फरोख्त के मामले में मुख्यमंत्री धामी के सचिव मीनाक्षी सुंदरम के ससुर व प्रभारी सचिव बृजेश संत के पिता के साथ ही डीआईजी राजीव स्वरूप की माता पर भी ग्रेटर नोएडा मे मुकदमा दर्ज हुआ है।
मामले को लेकर क्या बोले सीएम धामी:
सीएम धामी ने ज़मीनी ख़रीद फ़रोख़्त में मामले में आईएएस परिवारो पर उठ रहे सवालों के जवाब में कह दिया कि ये उत्तराखंड का मामला नहीं है बल्कि उत्तरप्रदेश का है और क़ानून अपना काम करेगा और रही बात अफ़सरों की तो मुझे तो आए एक साल ही हुआ है अफ़सर तो पुराने है।
हरिद्वार से जुड़े है इस अपराध के तार: भू माफिया के खिलाफ हरिद्वार में भी दर्ज है कई मुकदमे
यह तीनों ही बड़े अधिकारी अलग-अलग समय पर हरिद्वार में बतौर डीएम और एसएसपी तैनात रहे हैं।
गैंगस्टर यशपाल तोमर का हरिद्वार में जमीनों की खरीद फरोख्त का खासा अवैध कारोबार था।
यशपाल तोमर ने इन नौकरशाहों के परिवारजनों के लिए इस दौरान ही जमीनों की खरीद फरोख्त का काम किया।
यशपाल तोमर के खिलाफ हरिद्वार के कनखल, ज्वालापुर एवं शहर कोतवाली में 13 मई 2022 को चार अलग-अलग मुकदमे दर्ज हैं।
कनखल में कांग्रेसी नेता तोष जैन के घर में घुसकर हत्या की धमकी देने के संबंध में मुकदमा दर्ज कराया गया है। ज्वालापुर में दिल्ली के प्रॉपर्टी डीलर भरत चावला ने रंगदारी एवं जबरन भूमि कब्जाने समेत प्रभावी धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया हुआ है।
इसके बाद एसटीएफ ने गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज किया था। गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे के चलते ही उसकी 153 करोड़ की भूमि एसटीएफ कुर्क कर चुकी है और चौथा मुकदमा शहर कोतवाली में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट को गुमराह कर चौपहिया वाहन रिलीज कराने के संबंध में एसटीएफ ने दर्ज कराया था
जानिए पुरा मामला:
भू-माफिया और गैंगस्टर यशपाल तोमर का ज़मीनों पर अवैध क़ब्ज़े का साम्राज्य पश्चिमी यूपी से लेकर उत्तराखंड तक फैला हुआ है। भू-माफिया के इस अवैध कब्जे के खेल में खाकी और खादी सबने भरपुर साथ दिया है ।
यूपी पुलिस के कुछ इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर पर पहले ही जांच बैठ चुकी है ।अब बड़ा मामला सामने आया है कि उत्तराखंड के कुछ ब्यूरोक्रेट भी यशपाल तोमर के ज़मीनों के अवैध खरीद-फरोख्त में शामिल है।
इन अफसरों ने अपने परिजनों-रिश्तेदारों के नाम भूमाफ़िया यशपाल तोमर से साँठ-गाँठ कर ज़मीनों की खरीद-फ़रोख़्त की है।
ग्रेटर नोएडा पुलिस ने शनिवार को अवैध तरीके से जमीन की खरीद-फरोख्त के मामले में मुकदमा दर्ज किया है। इसमें मुख्य आरोपी गैंगस्टर यशपाल तोमर है, जिसके खिलाफ उत्तराखंड में भी जमीनों के जबरन खरीद और फर्जीवाड़े के कई मुकदमे दर्ज हैं।
मामला उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के चिटहेरा गांव का है। गांव में पट्टों की जमीन के क्रय-विक्रय में नियमों को ताक पर रखा गया था।
अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) वंदिता श्रीवास्तव की जांच में इसका खुलासा हुआ है। जांच के आधार पर चिटहेरा गांव के लेखपाल शीतला प्रसाद ने भू-माफिया यशपाल तोमर समेत कुल नौ लोगों के खिलाफ शनिवार को दादरी कोतवाली में मामला दर्ज कराया।
मामले में नामजद तीन लोग उत्तराखंड के तीन नौकरशाहों के परिवार से हैं। यह ज़मीनें काफी पहले खरीदी गई हैं। पुलिस इस बात की जांच में जुटी है कि यशपाल तोमर इन नौकरशाहों के संपर्क में कैसे आया। चूंकि जमीनें नौकरशाहों के नाम पर नहीं हैं बल्कि उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं। ऐसे में परिवारजन ही बताएंगे कि वह यशपाल के संपर्क में कैसे आए।
चिटहैरा गांव के लेखपाल शीतला प्रसाद की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में मुख्य आरोपी गैंगस्टर तोमर के साथ उत्तराखंड के दो आईएएस अफसरोें व एक आईपीएस अफसर के परिजनों-रिश्तेदारों को भी कुल नौ आरोपियों में सह आरोपी बनाया गया है। इन लोगों पर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा करने और फर्जी दस्तावेज़ प्रस्तुत कर जमीन हथियाने और झूठे मुक़दमों में ग्रामीणों को जेल भेजने जैसे बेहद संगीन आरोप लगे हैं।
मुख्यमंत्री के बयान से कहीं ना कहीं यह लगता है कि उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी में कुछ बड़ा होने वाला है।
अब देखने वाली बात तो यह होगी कि आखिर मुख्यमंत्री एक्शन क्या लेंगे।