EPFO Account: आजकल प्रोविडेंट फंड से जुड़ी ज्यादातर सर्विस ऑनलाइन अवेलेबल हैं. हालांकि, फिर भी कई ऐसे मामले हैं, जिनमें ईपीएफ (EPF) विदड्रॉल को लेकर अक्सर अकाउंट होल्डर्स को परेशानी का सामना करना पड़ता है. एम्पलॉइज प्रोविडेंट फंड (Employees provident fund) को लेकर लोगों के मन में कई तरह के कंफ्यूजन रहते हैं. जैसे इससे अपना पैसा कब निकाल सकते हैं. पैसा निकालने के नुकसान और फायदे क्या है. ईपीएफ खाते को ट्रांसफर कैसे करें?
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बहुत कम लोग यह जानते हैं कि ईपीएफ अकाउंट अपने आप क्लोज हो जाता है. इस स्थिति में ईपीएफ अकाउंट में अवेलेबल आपका पूरा पैसा फंस सकता है. हालांकि, यह निकाल तो पाएंगे, लेकिन इसके लिए आपको बहुत पापड़ बेलने पडे़ंगे और समय बर्बाद होगा वो अलग. ऐसे में एक तरीका है जिसके बाद आप अपना पैसा निकाल सकेंगे या फिर इसे ट्रांसफर करवा सकेंगे।
इस स्थिति में बंद हो जाएगा ईपीएफ अकाउंट
पहले जिस कंपनी में आप काम करते थे, अगर वह बंद हो गई है और आपने अपना पैसा नई कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर नहीं कराया तो दिक्कतें बढ़ सकती है. ऐसे में अगर अकाउंट में 36 महीनों तक आप कोई ट्रांजेक्शन नहीं करते तो 3 साल बाद ये खाता अपने आप क्लोज हो जाएगा।
इसके बाद यह ईपीएफ के इनएक्टिव अकाउंट्स से जुड़ जाएगा. दरअसल, जिन प्रॉविडेंट फंड खातों में 36 महीने से ज्यादा समय से अंशदान की राशि जमा नहीं होती, उन्हें ईपीएफओ निष्क्रिय खातों की श्रेणी में डाल देता है. हालांकि, निष्क्रिय खाते पर भी ब्याज मिलता रहता है।
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ऐसे होगा अकाउंट सर्टिफाइड
इनएक्टिव पीएफ खाते से संबंधित क्लेम को तभी निपटाया जा सकते हैं, जब उस क्लेम को कर्मचारी के नियोक्ता सर्टिफाइड करे. वहीं, कंपनी बंद होने या क्लेम सर्टिफाइड करने के लिए कोई नहीं है तो ऐसे क्लेम को बैंक केवाईसी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर सर्टिफाई करेंगे।
इनसे मिलेगी विदड्रॉल या खाता ट्रांसफर की मंजूरी
बैंक केवाईसी के बाद असिस्टेंट प्रॉविडेंट फंड कमिश्नर या दूसरे अधिकारी रकम के हिसाब से विदड्रॉल या खाता ट्रांसफर की परमिशन दे सकेंगे. 50,000 रुपये से ज्यादा राशि होने पर असिस्टेंट प्रोविडेंट फंड कमिश्नर की मंजूरी जरूरी है. वहीं, 25,000 से ज्यादा और 50,000 रुपये से कम की रकम होने पर अकाउंट ऑफिसर और 25,000 रुपय से कम राशि पर डीलिंग असिस्टेंट विदड्रॉल या खाता ट्रांसफर करने की परमिशन दे सकेंगे।