अयोग्य प्रत्याशी मैदान में! निर्वाचन आयोग को किसान मंच का अल्टीमेटम,सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे लोकतंत्र बचाने
देहरादून:
उत्तराखंड में जारी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वैधता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने आज राजधानी देहरादून में राज्य निर्वाचन आयोग को ज्ञापन सौंपते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं कि कई ऐसे प्रत्याशियों को भी चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिए गए हैं, जिनके नाम दोहरी मतदाता सूचियों (नगर निकाय और ग्राम पंचायत) में दर्ज हैं।
यह आरोप न केवल चुनाव प्रक्रिया में संविधानिक और वैधानिक चूक को दर्शाता है, बल्कि लोकतंत्र के प्रति आम जनमानस के विश्वास को भी गहरी ठेस पहुंचाता है।
किस बात पर है आपत्ति?
किसान मंच का कहना है कि आयोग ने ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह दे दिए जिनकी योग्यता की पूरी जांच नहीं हुई।
कई प्रत्याशी ऐसे हैं जिनका नाम एक साथ नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूची में है, जो उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम का सीधा उल्लंघन है।
इस लापरवाही से अयोग्य व्यक्ति भी चुनावी विकल्प बनकर जनता के सामने खड़े हो रहे हैं, जो लोकतंत्र के साथ मज़ाक है।
ज्ञापन में रखी गई चार प्रमुख मांगे:
1. सभी प्रत्याशियों से नोटरीकृत शपथ-पत्र लिया जाए, जिसमें स्पष्ट हो कि उनका नाम केवल एक मतदाता सूची में दर्ज है।
2. जिनके नाम दो मतदाता सूचियों में पाए जाएं, उनका नामांकन निरस्त किया जाए और विधिक कार्यवाही शुरू की जाए।
3. पारदर्शिता के लिए जांच प्रक्रिया सार्वजनिक की जाए, जिससे जनमानस का भरोसा बहाल हो।
4. आगामी चरणों में नामांकन प्रक्रिया से पूर्व मतदाता सूची की पूर्व जांच अनिवार्य की जाए।
किसान मंच की चेतावनी: 48 घंटे का अल्टीमेटम
किसान मंच ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि 48 घंटे के भीतर आयोग कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता, तो:
नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की जाएगी, जरूरत पड़ी तो चुनाव प्रक्रिया रोकने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट भी लगाई जाएगी
राज्य निर्वाचन आयोग और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विधिक कार्यवाही की मांग की जाएगी।
किसान मंच अध्यक्ष किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय का बयान
ज्ञापन देने के बाद किसान मंच उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने कहा:
“यदि आयोग की लापरवाही से अयोग्य प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, तो यह सीधा लोकतंत्र का अपमान है। पंचायत चुनाव जनता की उम्मीद और जवाबदेही से जुड़ा है, और हम इसे निजी राजनीतिक मंशा की भेंट नहीं चढ़ने देंगे।”
कानून क्या कहता है?
उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम, और भारत निर्वाचन नियमावली के अनुसार, कोई भी व्यक्ति तभी पंचायत चुनाव लड़ सकता है, जब उसका नाम केवल ग्राम पंचायत या केवल नगर निकाय की मतदाता सूची में हो। दोहरी सूची में नाम होने पर वह व्यक्ति अयोग्य माना जाएगा।
निष्कर्ष
उत्तराखंड पंचायत चुनाव की प्रक्रिया अब सिर्फ एक प्रशासनिक कार्य नहीं रह गई है, बल्कि इसकी वैधानिकता, पारदर्शिता और नैतिकता पर सवाल खड़े हो गए हैं। यदि किसान मंच द्वारा उठाए गए मुद्दों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, तो आने वाले दिनों में यह विवाद न्यायपालिका की चौखट तक पहुंच सकता है।
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