ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
लोकसभा चुनाव 2024 का समय चल रहा है ऐसे में नेता पार्टी कार्यकर्ता लगातार जनता के बीच पहुंच रहे हैं,लेकिन बात करें नैनीताल लोकसभा की और इस लोकसभा के उन गांवों की जिन्हें पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी के आवाहन के बाद सांसद अजय भट्ट द्वारा गोद लिया गया था।
जब गांव में हम पहुंचे तो यह स्पष्ट पता चला की गोद लिए गए गांव स्वयं भाजपा सांसद अजय भट्ट को भारी लग रहे हैं,वहां के लोगों से बात करने पर पता चला उन्होंने आज तक संसद को गांव में नहीं देखा और ना ही गांव में देखने को मिला वह विकास जिसके लिए प्रधानमंत्री द्वारा इन गांवों को गोद लेने के लिए सांसदों को आग्रह किया गया था।
इन गांव में प्रमुख रूप से बात करें तो जंगलिया गांव और गौलापार स्थित विजयपुर देवला मल्ला।
जंगलियागांव में पिछले 20 वर्षों में सड़क का डामरीकरण नहीं हुआ है,वहीं जंगलिया गांव के चार तोक सिंहधार, चनोती,नोली सिमाला आज भी ऐसे हैं जहां के ग्रामीण बिना सड़क के जीवन यापन कर रहे हैं।
वहां की महिलाओं का स्पष्ट कहना है कि जब महिला गर्भवती होती है तो उनके लिए अस्पताल पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं होता दर्द,कुछ ऐसे हैं कि कई महिलाओं की डिलीवरी रास्ते पर ही हो जाती है पिछले वर्ष ही सात महीने में एक बच्चा रास्ते में ही खराब हो गया।
महिलाओं का यह भी कहना है कि ना तो गांव से शादी कर बाहर गई बेटियां अब मायके आने को तैयार है और जो बहुएं जंगलियागांव में आई है वह भी गालियां ही देती है,कि आखिर बिना सड़क बिना स्वास्थ्य जैसी जगह पर उनकी शादी क्यों कर दी गई,हालत ये है कि गांव में रिश्ते आने को भी तैयार नहीं है।
जंगलिया गांव में शिक्षा की बात करें तो आज भी एकमात्र इंटर कॉलेज सिर्फ कला वर्ग ही पढ़ाता है,विज्ञान वर्ग के लिए आज भी गांव के बच्चों को लगभग 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है,पहाड़ की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वह प्रतिदिन ₹200 खर्च करें,इसलिए जिन बच्चों ने आज विज्ञान वर्ग लिया हुआ है वह पैदल ही विद्यालय की दूरी नापते हैं तो वहीं कुछ बच्चे आज भी कला वर्ग पढ़ने के लिए मजबूर हैं।
वही हल्द्वानी शहर से मात्र 7 किलोमीटर दूर गौलापार में सांसद अजय भट्ट द्वारा विजयपुर देवला मल्ला को गोद लिया गया था।
जब हमने वहां पहुंचकर ग्रामीणों से बात करी तो सुखी नदी पर आज तक झूला पुल नहीं बन पाया,जब बरसात आती है तो ग्रामीणों को अपने गांव जाने के लिए और वहां के विद्यार्थियों को स्कूल जाने के लिए तैर कर निकलना होता है,कई बार जल स्तर इतना बढ़ जाता है कि ग्रामीण दो दिन तक फंसे रहते हैं।
वहां भी आज तक सड़क नहीं है,गांव में जब कोई बीमार होता है तो उन्हें कंधे पर ही लाया जाता है सड़क न होने के कारण आज भी गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती।
ग्रामवासियों से बात करने के बाद यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सांसद अजय भट्ट द्वारा इन गांवों को गोद तो लिया गया लेकिन सिर्फ कागजों में,धरातल पर ना अजय भट्ट एक बार वहां पहुंचे ना ही पहुंचा सरकार का विकास
राज्य की तमाम खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहिए उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट से,खबरों के लिए संपर्क करें +917505446477,+919258656798