रिपोर्ट कार्तिक उपाध्याय
वैसे तो कई बार एम्स ऋषिकेश से कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय की खबरें आती रही हैं चाहे वह सुरक्षा गार्ड हो या अन्य
लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा है ऐम्स में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को समय से वेतन ना मिलना
कुछ हालात यही है इस समय भी एम्स कर्मचारियों का कहना है ढाई महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला है,जिसके लिए वह बार-बार आउटसोर्सिंग कंपनी एवं ऐम्स प्रबंधन से बात कर चुके हैं लेकिन हमेशा यही होता है समय से वेतन नहीं मिला करता
कर्मचारियों का कहना है कि वह मजबूर हैं आवाज कहां उठाएं क्योंकि यदि वह एम्स के भीतर आवाज उठाते हैं तो आउटसोर्सिंग कंपनी एवं प्रबंधन द्वारा उन्हें निकालने की धमकी दे दी जाती है
लेकिन इस बार कुछ कर्मचारियों ने सीधी लड़ाई लड़ने का निर्णय ले लिया है,उनका कहना है कि वह वेतन अधिनियम 1936 के तहत श्रम आयुक्त को शिकायती पत्र लिखेंगे
जिसमें प्रमुख बिंदु होंगें
कर्मचारियों का उत्पीड़न,समय से वेतन ना देना
वेतन के लिए आवाज उठाने पर निकाल देने की धमकी देना,छुट्टियों में कटौती,मातृत्व अवकाश ना मिलना आदि इत्यादि
उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट को प्राप्त जानकारी के अनुसार इन कर्मचारियों के साथ यह पहली बार नहीं हो रहा है लगातार वेतन को लेकर यही समस्या बनी आती है,2 से 3 महीने के बाद ही कर्मचारी को वेतन मिलता है
उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट ने कुछ कर्मचारियों से बात करने की कोशिश करी तो उन्होंने कहा कि ऐसे कई कर्मचारी हैं जो किराए पर रह रहे हैं और यदि वेतन समय से नहीं मिलता है तो उनके ऊपर कमरे का किराया देने से लेकर रोजी रोटी का संकट बन आता हैं,ऐसे में वह एक दूसरे से सहयोग लेकर अपना घर चला रहे हैं
वहीं जब उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट ने इस संदर्भ में एम्स के उच्च अधिकारियों से बात करी तो उन्होंने कहा कि मीडिया से बात करने से पूर्व इन कर्मचारियों को शिकायती पत्र प्रबंधन को देना चाहिए और यह बताना चाहिए कि उन्होंने इस संदर्भ कंपनी में किस व्यक्ति से बात करी
अब ऐसे में विरोधाभास की स्थिति यह है कि वेतन तो नहीं मिला लेकिन प्रत्यक्ष रूप से सामने आकर इसके लिए आवाज कौन उठाएगा
उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट की जानकारी में यह आया है कि एम्स कर्मचारी इस लड़ाई के लिए संगठन बना रहे हैं और जल्द ही इस उत्पीड़न के खिलाफ बुलंद आवाज की शुरुआत करने वाले हैं
जिसमें सबसे पहले यह होगा कि एक शिकायती पत्र लेकर वह श्रम आयुक्त से मिलेंगे,क्योंकि उनका कहना है श्रम आयुक्त की जिम्मेदारी है कि वह कर्मचारियों का उत्पीड़न होने से रोके और यदि ऐसा नहीं होता है तो किसी भी दिन यह कर्मचारी अचानक हड़ताल की शुरुआत कर देंगे