महीने में 4 या उससे अधिक दिन देर से कार्यालय आने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही
आम जनता की सरकारी कार्यालयों में कार्यालय समय में अधिकारियों कर्मचारियों के गायब रहने तथा दौरों के बहाने कार्यालयों में न बैठने की शिकायतें रहती है जबकि इस सम्बन्ध में कड़ी कार्यवाही का आदेश देने वाला शासनादेश सं0 478 दिनांक 30 जून 2009 से ही लागू है। यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत उत्तराखंड के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने उत्तराखंड के सामान्य प्रशासन विभाग के लोक सूचना अधिकारी से सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों के मिलने के समयों आदि की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में विभाग के लोक सूचना अधिकारी/अनुभाग अधिकारी हर दयाल बुड़ाकोटी ने अपने पत्रांक 889 दिनांक 02 जून 2023 के साथ शासनादेश संख्या 478 की सत्यापित फोटो प्रति उपलब्ध करायी गयी है।
श्री नदीम को उपलब्ध 30 जून 2009 को तत्कालीन मुख्य सचिव इन्दु कुमार पाण्डे के हस्ताक्षरों से जारी शासनादेश संख्या 478 में कार्यालयों में समय से उपस्थिति के सम्बन्ध में न केवल कड़े आदेश जारी किये गये है बल्कि देर से आने वाले कर्मचारियों के विरूद्ध मौखिक व लिखित चेतावनी, आकास्मिक अवकाश काटे जाने तथा अनुशासनात्मक कार्यवाही के आदेश भी दिये गये है।
शासनादेश के अनुसार सभी कार्यालयाध्यक्ष प्रति दिन कार्यालय समय से पूर्व पहुंचे और अपने अधीनस्थ अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की उपस्थिति कार्यालय में यथा समय सुनिश्चित करायें। उपस्थिति पंजिका प्रतिदिन नामित अधिकारी प्रातः 10ः15 के उपस्थिति रजिस्ट्रर अपने पास मंगवाकर अपनी टिप्पणी अंकित करेंगे और कार्यालय में देरी से आने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।
देरी से आने वाले अधिकारी, कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही के लिये शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि महीने के में 1 दिन देर से आने पर मौखिक चेतावनी दी जायेगी, 2 दिन देर से आने पर लिखित चेतावनी दी जायेगी, 3 दिन देर से आने पर एक दिन का आकस्मिक अवकाश काटा जायेगा, 4 दिन या अधिक देरी से आने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।
श्री नदीम ने बताया कि अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रभाव प्रदोन्नति, वेतन वृद्धि आदि विभिन्न सेवा सम्बन्धी मामलों में पड़ता है और दीर्घ दण्ड के अन्तर्गत कर्मचारी अधिकारी को पद से डिमोशन समय पूर्व रिटायरमेंट तथा बर्खास्तगी तक का दण्ड दिया जाता है।
कार्यालय के काम से बाहर जाने व दौरों का बहाना बनाकर कार्यालय में न बैठने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर भी इस शासनादेश में नकेल डालने का प्रावधान किया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया कि प्रत्येक कार्यालय में अनिवार्य रूप से क्षेत्र भ्रमण रजिस्टर रखा जायेगा और क्षेत्र भ्रमण मीटिंग या व्यक्तिगत कार्य से बाहर जाने वाले कर्मचारी अधिकारी के बाहर जाने की इसमंे अनिवार्य रूप से प्रविष्टि की जायेगी।
शासनादेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि शासनादेश के आदेशों के पालन कराने का उत्तरदायित्व विभागाध्यक्ष/कार्यालयाध्यक्षों का होगा। प्रत्येक पक्ष में जिलाधिकारियों द्वारा इस सम्बन्ध में एक रिपोर्ट अपने मंतव्य सहित प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री को प्रेषित की जायेगी।